जमाना तेजी से बदल रहा है। आजकल महिलाएं किसी भी चीज में पुरुषों से पीछे नहीं है। एक समय में खेल क्षेत्र में सिर्फ पुरुषों का ही राज चलता था। लेकिन अब महिलाएं भी बढ़-चढ़कर न सिर्फ खेल के क्षेत्र में भाग ले रही हैं बल्कि देश का नाम भी रोशन कर रही हैं। उनकी रैंरिंग भी दुनिया की टॉप खिलाड़ियों में शामिल हो गई हैं। 8 मार्च को 'अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस' मनाया जाना है। चलिए इस मौके पर नजर डालते हैं देश की नामी महिला खिलड़ियों की अचीवमेंट पर...
झूलन गोस्वामी
भारतीय महिला के क्रिकेट की बात करें तो सबसे पहले झूलन का नाम आता है। उनका महिला क्रिकेट को पहचान दिलवाने में बड़ा योगदान है। उनकी उपल्बधियों की लिस्ट बहुत लंबी है। वो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 2000 से ज्यादा ओवर लेने वाली दुनिया की इकलौती गेंदबाज हैं। एक समय ऐसा था जब वो गली- मोहल्ले के लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती थी और उनकी धीमी गेंदबाजी का सारे मजाक उड़ाते थे। लेकिन उन्होंने कुछ कर दिखाने में जुनून में मेहनत जारी रखी और आज उन्हें तेज गेंदबाज के तौर पर जाना जाता है। उन्होंने कुल 333 अंतरराष्ट्रीय विकेट लिए हैं। साल 2022 में उन्होंने खेल से retirement ले लिया।
जमुना बोरो
असम के छोटे से कस्बे ढेकियाजुली से ताल्लुख रखने वाली जमुना बोरो आज दुनिया भर में बेहतरीन भारतीय मुक्केबाज के तौर पर पहचान बना चुकी हैं। उनका बचपन बहुत ही मुश्किलों भरा था। छोटी उम्र में ही उन्होंने अपने पिता को खो दिया। जमुना बचपन में ही मुक्केबाज बनना चाहती थी लेकिन लोगों ने मनोबल गिराने वाली कई बातें कहीं। लेकिन जमुना ने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत के बाद मुक्केबाजी में अपना करियर बनाया। आज जमुना बोरो 54 किलोग्राम वर्ग में भारत की नम्बर एक मुक्केबाज हैं और विश्व रैंक में जमुना टॉप 5 में शामिल रह चुकी हैं। उन्होंने कई राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मेडल जीते हैं।
अंजू बॉबी जॉर्ज
लॉन्ग जंप में विश्व चैंपियनशिप का पदक जीतने वाली अंजू बॉबी जॉर्ज इकलौती भारतीय खिलाड़ी हैं।अंजू को बचपने से ही माता पिता का प्रोत्साहन मिला। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वो कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पदक जीत चुकी हैं। साल 2003 में पेरिस में आयोजित हुए विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप (World Athletics Championships) में लॉन्ग जंप में कांस्य पदक जीताकर उन्होंने देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया था। वह भारत के लिए पदक जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट बनीं।
हिमा दास
हिमा दास आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है। छोटी सी कद की इस भारतीय धाविका ने अपनी चीते सी फुर्ती से सब को हैरान कर दिया। महज 20 साल की उम्र में उन्होंने वह कर दिखाया जो किसी पुरुष खिलाड़ी के लिए भी आसान नहीं था। बता दें कि हिमा दास एक गरीब परिवार से आती है। उसके परिवार में 17 लोग थे जो धान की खेती पर आश्रित थे। लेकिन फिर हिमा ने अपने हुनर के बल पर अपने परिवार के दिन बदले। हिमा पहली भारतीय महिला एथलीट हैं, जिन्होंने स्प्रिंटिंग में 5 गोल्ड मेडल जीते और आईएएएफ विश्व अंडर 20 चैंपियनशिप में 51.46 सेकंड में यह उपलब्धि हासिल की।
मैरी कॉम
भारतीय महिला खिलाडि़यों में मैरी कॉम का नाम न लिया जाए ऐसा कैसे हो सकता है। उनके नाम कई उपलब्धियां हैं। खिलाड़ी ही नहीं, वो महिलाओं के लिए भी एक प्रेरणा श्रोत हैं। महान भारतीय खिलाड़ी मेरी कॉम ने महान उपलब्धियों से भारत का नाम दुनिया भर में रोशन किया है। वो अकेली भारतीय महिला बॉक्सर हैं जो 6 बार वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीत चुकी है। तीन बच्चों की मां रहते हुए भी उन्होंने अपना सर्वोच्च प्रदर्शन किया। उनकी जिंदगी पर आधारित एक फिल्म मैरी कॉम भी बन चुकी है जिसमें 'प्रियंका चोपड़ा' ने काम किया था।