अप्रैल महीने का 1 दिन दुनिया भर में मजाक में बेवकूफ बनाकर मनाया जाता है। भले कोरोना के चलते लोग घरों में बंद हैं, मगर सोशल मीडिया के जरिए हमें यकीन है लोग इस हंसी मजाक वाले दिन को खूब एंजॉय करेंगे। हो सकता है कुछ देर के लिए इस मस्ती मजाक के चलते कुछ देर हम सभी कोरोना के स्ट्रेस से बाहर निकल सकें। आइए जानते हैं 1 अप्रैल यानि अप्रैल फूल से जुड़ी कुछ खास बातें....
कैसे मनाया जाता है 1 अप्रैल को फूल-डे?
1 अप्रैल यानि एक दूसरे को मूर्ख बनाने का दिन। इस दिन कुछ लोग इतना संभलकर रहते हैं कि हर बात का जवाब बहुत सोच समझकर देते हैं, ताकि कोई उन्हें फूल न बना दे। आखिर दूसरों को मूर्ख बनाकर खुद खुश होने का यह दिन भला कब से शुरू हुआ और इसके पीछे क्या कारण छिपा है? आइए जानते हैं...
कब से और क्यों मनाया जाता है यह दिन?
इस दिन की शुरूआत 19 वीं शताब्दी में हुई थी। मान्यता के अनुसार इस दिन ग्रीस से पॉप जौर्ज की डेथ हुई थी। ऐसे ही हर एक देश की इस दिन को मनाने की अलग मान्यता है। भारत में इस दिन से जुड़ी कुछ खास मान्यता महीं है, यहां पर इस दिन को बस मस्ती मजाक के लिहाज से मनाया जाता है।
दुनिया के कुछ खास किस्से...
दुनिया भर के देशों में इस दिन को अपने अलग अंदाज में मनाया जाता है। इस दिन हल्के फुल्के मजाक से लेकर लोग झूठी खबरें फैलाने तक वाले मजाक कर बैठते हैं। एक बार फ्रेंच की अखबार में खबर छपी कि पड़ोसियों ने 1 अप्रैल की सुबह अपने साथ रहते घरवालों से कहा कि आपके पापा का फोन आया है कि वह स्टेशन पर खड़े हैं, उन्हें घर का रास्ता याद नहीं, आप उन्हें स्टेशन से ले आइए। इतना सुनते ही व्यक्ति ने गाड़ी उठाई और पिता जी को लेने अस्पताल पहुंच गया। वहां जाकर उसे याद आया कि पापा तो सुबह ग्रोसरी लेने पास की दुकान पर गए थे, स्टेशन पर उनका क्या काम! फिर उसे याद आया कि शायद उसका अप्रैल फूल बन चुका है। तो इस तरह लोग छोटे से लेकर बड़ा मजाक करना पसंद करते हैं।
मजाक करें मगर थोड़ा संभलकर
अक्सर हम मस्ती मजाक वाले मूड में अपनी सीमाएं भूल जाते हैं। मगर भले कोई आपके मजाक का बुरा मानें या न मानें, आपका मजाक एक लिमिट में होना बेहद लाजमी है। आपके मजाक की वजह से किसी और व्यक्ति का दिल नहीं दुखना चाहिए।
तो हमें यकीन है सोशल मीडिया के जरिए आपका अप्रैल फूल डे खुशियों भरा रहेगा। अपने दोस्तों के साथ इस
दिन का आप सब खूब मजा लें।