रास्ते में कितनी भी मुश्किलें क्यों न हो जब आपको खुद पर हिम्मत होती है तो सारी मुश्किलें आसान हो जाती हैं। हमें खुद पर और अपनी ताकत पर यकीन रखना चाहिए। इसी कथन को साबित किया है 21 वर्षीय की विदिशा बालियान ने, जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका में हुए मिस डेफ वर्ल्ड प्रतियोगिता 2019 का टाइटल अपने नाम किया हैं। प्रतियोगिता में 19 साल के इतिहास में पहली बार भारतीय लड़की ने मिस डेफ वर्ल्ड-2019 का खिताब जीता है। विदिशा दाएं तरफ के कान से 100 प्रतिशत व बाएं कान से 90 प्रतिशत सुन नही सकती हैं। लेकिन वह पूरी तरह से सुन नही सकती है लेकिन लिप रीड और बात कर सकती हैं।
इंटरनेशनल टेनिस प्लेयर भी रह चुकी है विदिशा
यूपी के मुजफ्फरनगर की रहने वाली विदिशा बलियान का परिवार इस समय गाजियाबाद में रहता है। इस प्रतियोगिता में भाग लेने से पहले वह अंतर्राष्ट्रीय टेनिस प्लेयर भी रह चुकी हैं। उन्होंने डियालिकम्पिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया हैं। पीठ में चोट लगने के कारण इन्होंने इस प्रतियोगिता में भाग लिया था। मिस पेजेंट के लिए ट्रेनिंग गुड़गांव व नोएडा में हुई हैं। फिजिकल एजुकेशन में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद विदिशा का स्पोर्ट्स में काफी रुचि बढ़ गई। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय बाधिर ओलंपिक में टेनिस के लिए सिल्वर मेडल जीता था।
जो आपके पास नही उससे न हो परेशान
विदिशा ने कहना है कि “मुझे विश्वास हासिल करने और अपने व्यक्तित्व को विकसित करने के लिए प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए प्रेरित किया गया। इस मंच के माध्यम से, मैं बधिर समुदाय को उनकी प्रतिभा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करना चाहता हूं, और इस बात से परेशान नहीं होना चाहिए कि उनके पास क्या नहीं है।”
फरवरी में जीता था मिस डेफ इंडिया का खिताब
बालियान ने इससे पहले फरवरी में मिस डेफ इंडिया का खिताब जीता था। उसके बाद इंटरनेश्नल प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए भारत की पहली पैरालंपिक विजेता दीपा मलिक व उनकी टीम की ओर से अप्रैल से इन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रतियोगिता में फाइनल राउंड में 16 देशों के प्रतिभागी शामिल हुए थे, जिसमें से 11 को फाइनल राउंड के लिए चुना गया था। इसमें दक्षिण अफ्रीका की प्रतिभागी उपविजेता रही।
सोशल मीडिया पर शेयर किया अपना अनुभव
अपनी सोशल मीडिया की साइड पर अपने अनुभव को लिखते हुए विदिशा ने कहा कि ' मिस डेफ वर्ल्ड का ताज जीतना हमारा जीवन के लिए याद रहेगा। श्रवण बाधित बच्चे के रुप में दरवाजे की घंटी सुनने से लेकर लोगों द्वारा नजरअंदाज किए जाने तक मैंने यह सब नही देखा। इसके बाद मैंने अपनी जीवन को एक टेनिस खिलड़ी के तौर पर देखा, लेकिन पीठ पर चोट लगने के कारण मेरी सारी आशाएं खंडित हो गई। जब जीने का कारण देखने में असमर्थ थी, तब मेरे परिवार ने मुझे हार मानते हुए ताकत दी। तब मैने मिस डेफ इंडिया में भाग लिया। मुझे अपनी खास बात पसंद है कि मैं कभी भी अपने प्रयासो को समय से नही मापती हूं। उन्हें पूरा करती हूं। चाहे वह डांस, बास्केटबाल, तैराकी टेनिस या योग हो। जैसे मुझे मेरे गुरु ने सिखाया था मैंने जीवन भर के इस अवसर का आनंद लेने पर ध्यान केंद्रित किया और दुनिया भर में मेरे जैसे लोगों के साथ दोस्ती की। हमने हंसी, भोजन, मदद साझा की और सामान्य धागे से बंधे थे - सामान्य रूप से सुनने में असमर्थता।
लाइफस्टाइल से जुड़ी लेटेस्ट खबरों के लिए डाउनलोड करें NARI APP