मेनोपॉज वो वक्त है जब महिलाएं कि पीरियड्स कि प्रकिया बंद हो रही होती है और वो अपने जीवन के नए चरण में प्रवेश कर रही होती हैं। आप ये जान कर हैरानी होगी कि दुनिया में हर साल 1.5 मिलियान महिलाएं इस ट्रांजिशन से गुजरती है। ये वो दौर होता है जब महिलाएं कई तरह की परेशानियों का सामना करती हैं। इसमें ड्राई प्राइवेट पार्ट से लेकर अनिद्र, थकान और जोड़ों का दर्द आदि शामिल है। एक्सपर्ट बताते हैं कि भारत में महिलाओं में मेनोपॉज की उम्र 45 से 52 के बीच की होती है। वहीं मेनोपॉज के शुरुआती लक्षणों की बात करते हुए उन्होनें कहा कि ऐसी स्थिति में महिलाओं के मेंस्रुअल साइकल लेट होने लगते हैं। कई बार 2-2 महीने का गैप होकर पीरियड्स होते है। इसके आलवा पीरियड्स काफी कम हो जाते हैं, फ्लो भी कम होता है। इसके बाद अगर एक साल तक पीरियड ना हो तो उसको मेनो पॉज कहते हैं।
मेनोपॉज के सामान्य लक्षण
1.महिलाओं को इस दौरान हॉट फ्लैशेज होते हैं जब उन्हें एकदम से ठंडा पसीना आने लगता है।
2.इस दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन कम होता है जिससे प्राइवेट पार्ट ड्राई होती है और शारीरिक संबधं बनाने की भी इच्छा नहीं होती है।
3.महिलाओं में थकावट, चिड़चिड़ापन, उदासी आदि लक्षण भी देखने को मिलते हैं।
4.एस्ट्रोजन कार्डियो प्रोटक्टिव हार्मोन होता है, इसके कम बनने के कारण हार्ट की प्रॉब्लम का खतरा रहता है।
5.महिलाओं में मूड स्विंग और प्रो लैप्स की परेशानी भी हो सकती है।
पोस्ट मेनोपॉज ब्लीडिंग के गंभीर लक्षण
एक्सपर्ट ये भी कहते हैं कि यदि महिलाओं में पोस्ट मेनोपॉज ज्यादा ब्लीडिंग होती है तो इसे सीरियस लेना चाहिए। ऐसा कोई लक्षण दिखने पर सभी जांचें करानी चाहिए। इसके आलवा मेमोग्राफी और अल्ट्रा साउंड कराना चाहिए।
52 की उम्र में होते है मेनोपॉज
एक्सपर्ट कहते हैं कि कई सारे अध्ययनों में ये बात सामने आई है कि रजोनिवृत्त महिलाओं में कई सारे और भी लक्षण देखने को मिलते हैं जैसे की जोड़ों और मांसपेशियों का दर्द, शरीर के आकार में बदलाव और त्वचा की झुर्रियों में बढ़ोत्तरी शामिल है। वैसे अलग बात है कि हर महिला में मेनोपॉज के लक्षण एक जैसे नहीं होते। अगर आपको 52 साल की उम्र तक मेनोपॉज नहीं होते तो आपको एक्सपर्ट से राय लेनी चाहिए।
मेनोपॉज के लक्षण आने पर क्या करें
1.अपनी डेली रुटीन में एक्सरसाइज जरुर शामिल करें।
2.संतुलित आहार लें, तरल पदार्थों का सेवन करें और मल्टी विटामिन की खुराक लेते रहें।
3.समय-समय पर डॉक्टर से स्वास्थ्य चेकअप कराते रहें।
4. अपने प्राइवेट पार्ट की हाईजीन मेंटेन रखें, साफ सफाई का ध्यान रखें।
5. 6 से 7 घंटे की नींद जरुर लें, नकारात्मक ख्याल आने पर मनोवैज्ञानिक से काउंसिलिंग कराएं।