हर साल दुनिया भर में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस खास दिन महिलाओं को समाज में उनके योगदान के लिए धन्यवाद कहा जाता है और उन्हें खूब प्रोत्साहित भी किया जाता है। आज हम 21वीं सदी में रह रहे हैं तो दुनिया भर के तमाम देशों में उन्हें समान अधिकार और उन्नति के लिए कई सारे नियम और संविधान बनाए गए हैं, जिसके बारे में कई महिलाओं को पता तक नहीं होगा। चलिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हम आपको बताते हैं इसके बारे में...
समान वेतन का अधिकार
नौकरी या मजदूरी करने वाली महिलाओं को अकसर समान काम करने वाले पुरुष से कम वेतन मिलता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम मेहनताना दिया जाता है। संविधान महिलाओं को समान पारिश्रमिक का अधिकार देता है। समान पारिश्रमिक अधिनियम के तहत, वेतन या मजदूरी में लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकता है। समान कार्य के लिए पुरुषों और महिलाओं को समान वेतन दिए जाने का प्रावधान है।
मातृत्व संबंधी अधिकारी
नौकरी करने वाली महिलाओं को प्रेग्नेंसी के समय 6 महीने छुट्टी का अधिकार है और उनकी वेतन में भी कोई कटौती नहीं होगी। इसके बाद उन्हें काम पर लौटने का भी अधिकार है।
नाम और पहचान छुपाने का अधिकार
महिलाओं को लेकर अपराध बढ़ रहे हैं। यौन पीड़िता महिलाओं को अपने नाम और पहचान को लेकर प्राइवेसी बनाए रखने का अधिकार है। पीड़ित महिलाएं अपना बयान किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में दर्ज कराने का अधिकार रखती है। जिलाधिकारी के सामने भी महिला अपनी शिकायत सीधे दर्ज करा सकती है। साथ ही पुलिस, मीडिया और अधिकारी को महिला की पहचान जाहिर करने का अधिकार नहीं है।
मुफ्त कानूनी मदद का है अधिकार
रेप पीड़ित महिलाओं को मुफ्त कानूनी मदद पाने का अधिकार भारतीय संविधान देता है। पीड़ित महिला थाने में फ्री कानूनी मदद के लिए अप्लाई कर सकती हैं और एसएचओ विधिक प्राधिकरण के वकील की व्यवस्था करने के लिए सूचना देता है।
रात को गिरफ्तारी न देने का अधिकार
कानून के हिसाब से सूरज ढलने के बाद किसी भी महिला को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। अगर मामला गंभीर तो भी पुलिस को पहले मजिस्ट्रेट का आदेश लेना पड़ेगा और फिर जाकर वो महिला को रात को गिरफ्तार कर सकती हैं।