शिरोमणि अकाली दल प्रमुख और पंजाब के पांच बार मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार को निधान हो गया। 95 वर्षिय बादल को सांस लेने में तकलीफ थी, जिसके बाद उसे एक सप्ताह पहले मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पंजाब की पूर्व सीएम की मौत से पूरा देश सदमे में हैं। देश के प्रधानमंत्री ने भी ट्वीट करके दुख जताया है। आइए डालते हैं प्रकाश सिंह बादल की राजनीतिक सफर पर एक नजर....
बेहद कम उम्र में बन गए थे सरपंच
प्रकाश सिंह बादल का जन्म 8 दिसंबर, 1927 को अबुल खुराना नामक गांव में जाट सिक्ख परिवार में हुआ था। यह गांव अब पाकिस्तान में है। उनका विवाह सुरिंदर कौर से हुआ, जिनका देहांत साल 2011 में लंबी बीमारी के बाद हो गया था। बादल के परिवार में बेटा सुखबीर सिंह बदल और बेटी परनीत कौर हैं। लाहौर के क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़े प्रकाश ने साल 1947 में देश की आजादी के साथ राजनीति में एंट्री की। हालांकि उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव साल 1957 में लड़ा और जीत भी हासिल की।
5 बार सीएम और 10 बार विधायक बने
प्रकाश सिंह बादल 1957 में पहली बार विधायक बनने के बाद 1961 में पहली बार मंत्री बनें। अपने राजनीतिक करियर में वे 10 बार विधायक चुने गए। उनका आखिरी चुनाव साल 2022 में रहे, जब वे विधानसभा चुनाव में खड़े हुए थे। पहली बार 1970 में पंजाब के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने प्रकाश इसके बाद 1977, 1997, 2007 और 2012 समेत कुल पांच बार पंजाब के CM रहे। इसके अलावा 1972, 1980 और 2002 में वे पंजाब विधानसभा में नेता विपक्ष के तौर पर मौजूद रहे।
एक बार ही पूरा कर पाए सीएम पद का कार्यकाल
प्रकाश ने करीब 7 दशक तक पंजाब और भारतीय राजनीति पर अहम छाप छोड़ी, इस दौरान उन्हें कई बार सिखों के लिए खालिस्तान और कट्टरपंथी जरनैल सिंह भिंडरावाले का समर्थन करने जैसे मुद्दों के चलते विवादों का सामना करना पड़ा, हालांकि उन्होंने किसी के भी कहने पर अपने विचारों को नहीं बदला। इसी के चलते 5 बार सीएम बनने के बावजूद वे महज एक बार 1997 से 2002 तक ही अपना कार्यकाल पूरा कर सके। मुख्यमंत्री रहने के अलावा उन्होंने सामुदायिक विका, पंचायती राज, पशुपालन डेरी आदि मंत्रालयों में भी मंत्री के तौर पर काम किया।
जेल में भी काटना पड़ा वक्त
प्रकाश सिंह बादल पंजाब, पंजाबियत और पंजाबियों की रक्षा और उनके हितों के लिए आवाज उठाते रहे। इस कारण उन्हें करीब 17 साल जेल और नजरबंदी में बिताने पड़े।
सबसे कम उम्र और सबसे उम्रदराज CM बनने का रिकॉर्ड
खास बात यह है कि प्रकाश बादल 1970 में जब 43 साल की उम्र में पहली बार मुख्यमंत्री बने तो वह देश में उस समय किसी भी राज्य के सबसे कम उम्र मुख्यमंत्री थे। वहीं, साल 2012 में जब वह पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने देश का सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाया था। पिछले साल 2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने सबसे उम्रदराज कैंडिडेट होने का रिकॉर्ड अपने नाम किया था।
पद्म विभूषण से हो चुके थे सम्मानित
2015 में उन्हें भारत सरकार द्वारा उन्हें दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म विभूषण से सम्मानित किया। 2011 में अकाल तख्त ने उन्हें पंथ रतन फखर-ए-कौम (सचमुच, धर्म का गहना और समुदाय का गौरव) की उपाधि दी थी। बादल को यह उपाधि लंबे समय तक जेल में रहने और विभिन्न अकाली आंदोलनों के दौरान अत्याचारों का सामना करने के लिए दी गई थी।
बेटा संभाल रहा अब राजनीतिक विरासत
प्रकाश साल 1995 से 2008 तक शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष रहे। बाद में उन्होंने यह जिम्मेदारी अपने बेटे सुखबीर सिंह बादल को सौंप दी, जो अब प्रकाश की राजनीतिक विरासत संभाल रहे हैं।
शुरु करवाया सीएम रिलीफ फंड
बादल की पत्नी की सुरिंदर मौत कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद 2011 में हुई थी। इससे वो इतना टूट गए कि उन्होंने कैंसर के खिलाफ मुहिम छेड़ दी थी। पंजाब में सीएम रिलीफ फंड भी प्रकाश ने ही शुरू करवाया था। अपने लंबे राजनीतिक कार्यकाल के दौरान उन्होंने एक उदार नेता के तौर पर काम किया।