नारी डेस्क: स्वीडन ने 2 साल तक के बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम पूरी तरह बैन कर दिया है। इसका मुख्य कारण यह है कि अधिक स्क्रीन टाइम से बच्चों और किशोरों में नींद की समस्याएं, चिंता, डिप्रेशन, और यहां तक कि ऑटिज्म जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। स्वीडन सरकार ने सलाह दी है कि बच्चों को टीवी और मोबाइल फोन जैसे किसी भी स्क्रीन का उपयोग नहीं करने देना चाहिए। अमेरिका, आयरलैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसे देशों ने भी बच्चों के लिए इसी तरह की सलाह जारी की है।
मानसिक स्वास्थ्य पर असर
अधिक स्क्रीन टाइम से बच्चों में चिंता और गुस्से में इजाफा होता है। स्क्रीन पर ज्यादा वक्त बिताने से ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है और डिप्रेशन का खतरा बढ़ता है। बच्चों का मानसिक विकास धीमा हो सकता है और वे सामाजिक गतिविधियों में कम भाग ले पाते हैं।
शारीरिक स्वास्थ्य पर असर
ज्यादा स्क्रीन टाइम से बच्चों की नींद प्रभावित होती है, जो उनकी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। स्क्रीन पर लंबे समय तक देखने से आंखों में डिजिटल तनाव, सूखी आंखें, और मायोपिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लंबे समय तक स्क्रीन देखने से बच्चों की नींद में बाधा आ सकती है। यह उनकी सामान्य सेहत और विकास के लिए हानिकारक हो सकता है। स्क्रीन पर अधिक समय बिताने से डिजिटल तनाव, सूखी आंखें, और मायोपिया जैसी आंखों की समस्याए उत्पन्न हो सकती हैं। मायोपिया, जिसे नजदीक का दिखना काम हो जाता हैं। एक सामान्य समस्या है जहा दूर की वस्तुए धुंधली दिखती हैं।
स्वीडन की सलाह के अनुसार, यहां कुछ उपाय हैं जिन्हें अपनाकर आप अपने बच्चों का स्क्रीन टाइम कंट्रोल सकते हैं
बच्चों के साथ समय बिताएं
अगर आपके पास समय नहीं है, तो कोशिश करें कि बच्चे के साथ स्क्रीन की बजाय बड़ी स्क्रीन जैसे टीवी का उपयोग करें, और भी समय-समय पर उनके साथ आउटडोर गतिविधियों में शामिल हों। जब भी संभव हो, बच्चों के साथ आउटडोर गतिविधियों में भाग लें। चाहे वह पार्क में खेलना हो या किसी अन्य खेल-कूद की गतिविधि, यह न केवल उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, बल्कि आपके और आपके बच्चे के बीच के रिश्ते को भी मजबूत करता है।
बच्चों को आउटडोर एक्टिविटी कराएं
रोजाना कम से कम एक घंटा बाहर खेलना या एक्टिव रहना आवश्यक है। जितना हो सके अपने बच्चों के साथ समय बिताए। ऐसा करने से उनकी मानसिक सेहत भी तंदरुस्त रहेगी। उनका ध्यान भी फ़ोन में कम लगेगा। बच्चों के स्क्रीन टाइम को कंट्रोल करने के लिए माता-पिता, स्कूल और सरकार को मिलकर काम करना होगा।
डॉक्टर्स की सलाह
डॉ. जे. एस. तितियाल (एम्स में आरपी सेंटर के चीफ) "स्क्रीन टाइम को कम करने से बच्चों में मायोपिया के केस कम होंगे। यह एक अच्छी सोच है।"
डॉ. शेफाली गुलाटी (एम्स की पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजी की एचओडी) "बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए स्क्रीन टाइम पर रोक लगाना जरूरी है।"
डॉ. रागिनी सिंह (मनोचिकित्सक) "टीनेजर्स अक्सर निगेटिव कंटेंट देखते हैं, जिससे उनकी मानसिकता पर बुरा असर पड़ता है। स्कूल में काउंसिलिंग की आवश्यकता है।"
डॉ. महिपाल सचदेव (डायरेक्टर, सेंटर फॉर साइट) "आउटडोर एक्टिविटी से बच्चे के शरीर में विटामिन डी की कमी पूरी होती है।"
भारत में स्थिति
भारत में अभी भी इस तरह की सलाह लागू नहीं की गई है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करने की आवश्यकता है। बच्चों की सेहत और विकास के लिए यह महत्वपूर्ण है कि माता-पिता इस दिशा में कदम उठाएं और अपने बच्चों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने में मदद करें।