ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर को लगने वाला है। दिवाली पर्व के अगले दिन लगने जा रहे इसे ग्रहण के अलग ही मायने हैं। यह शाम 4:40 बजे से 5:24 बजे तक रहेगा। इससे 12 घंटे पहले ग्रहण का सूतक काल शुरू हो जाएगा। यानी 24 अक्टूबर से ही सूर्य ग्रहण शुरू हो जाएगा।
कई भागों में दिखाई देगा ग्रहण
ज्योतिष जानकारों के मुताबिक यह सूर्य ग्रहण देश के कई भागों में दिखाई देगा। आंशिक सूर्य ग्रहण 25 अक्तूबर को शाम 4:40 बजे से 5:24 बजे तक रहेगा। सूर्यास्त का समय 5:27 बजे है, इसलिए ग्रहण की अवधि 47 मिनट तक रहेगी। आंशिक सूर्य ग्रहण का परिमाण 36 प्रतिशत होगा। इस खगोलीय घटना को देश के पश्चिमी और उत्तरी हिस्सों में बेहतर ढंग से देखा जा सकेगा।
पूर्वोत्तर भारत में ये होगी स्थिति
कहा जा रहा है कि पूर्वोत्तर भारत में यह सूर्यग्रहण नहीं दिखेगा क्योंकि इस क्षेत्र में यह खगोलीय घटना सूर्यास्त के बाद घटित होगी. भारत के अलावा यूरोप, उत्तरी अफ्रीका, मध्य एशिया और एशिया के दूसरे क्षेत्रों में इसे देखा जा सकेगा। भारत में उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में अधिकतम ग्रहण के समय सूर्य पर चंद्रमा द्वारा आच्छादन लगभग 40 से 50 प्रतिशत के बीच होगा। देश के अन्य हिस्सों में आच्छादन का प्रतिशत उपरोक्त मान से कम होगा। ग्रहण की अवधि प्रारम्भ से लेकर सूर्यास्त के समय तक दिल्ली और मुम्बई में क्रमश: 1 घंटे 13 मिनट तथा 1 घंटे 19 मिनट की होगी।
इस दिन दिखाई देगा अगला सूर्य ग्रहण
चेन्नई एवं कोलकाता में ग्रहण की अवधि प्रारम्भ से लेकर सूर्यास्त के समय तक क्रमश: 31 मिनट तथा 12 मिनट की होगी। ग्रहण यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका के उत्तर-पूर्वी हिस्सों, पश्चमी एशिया, उत्तर अटलांटिक महासागर तथा उत्तर हिंद महासागर के क्षेत्रों में दिखाई देगा। भारत में अगला सूर्य ग्रहण 2 अगस्त 2027 को दिखाई देगा, जो पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा।
कब होता है ऐसा
बता दें कि आंशिक सूर्य ग्रहण तब घटित होता है जब चन्द्र चक्रिका सूर्य चक्रिका को आंशिक रूप से ही ढक पाती है। अमावस्या के दिन सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी करीब-करीब एक सीधी रेखा में होंगे। 25 अक्टूबर को सूर्य,चंद्रमा और पृथ्वी एक समान पटल पर होंगे, जिससे चंद्रमा थोड़े समय के लिए आंशिक रूप से सूर्य को ढक लेगा। इससे चंद्रमा के छाया क्षेत्र में पड़ने वाले क्षेत्रों में आंशिक सूर्यग्रहण देखने को मिलेगा।