देश के अधिकतर शहरों के आसमान में धुएं, धूल, एसिड से भरी जहरीली हवा की परत बार-बार खतरनाक स्तर को पार कर रही है। अनेक शहरों की हवा सांस लेने लायक नहीं रह गई है। वायु में प्रदूषण आगामी दिनों में बद से बदतर हो सकता है। हालांकि वायु प्रदूषण से सेहत को होने वाले नुकसान के बारे में ज्यादातर लोग जागरूक हैं। मगर इससे बालों, त्वचा ,चेहरे की सुन्दरता पर पड़ने वाले खतरनाक प्रभाव से कम ही लोग वाकिफ हैं। वायु में बढ़ते प्रदूषण से न केवल आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ता है। वहीं उससे आपकी खूबसूरती पर भी ग्रहण लगता है। ऐसे में आप इससे बचने के लिए हर्बल ब्यूटी एक्सपर्ट के कुछ खास टिप्स बताते हैं...
स्किन को नुकसान पहुंचा रहा वायु प्रदूषण
शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण से आपको फेफड़ों के रोगों के अलावा समय से पहले बुढ़ापा, पिगमेंटेशन, त्वचा के छिद्रों में ब्लॉकेज आदि अनेक सौन्दर्य समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। ज्यादातर भारतीय शहरों में वाहनों, एयर कण्डीशन, धुल, धुएं आदि से आसमान में बनने वाली जहरीली धुंए की चादर से माइक्रोस्कोपिक केमिकल्स की एक परत बन जाती है। इसके कण हमारे छिद्रों के मुकाबले 20 गुणा ज्यादा पतले होते हैं। ये हमारी बाहरी त्वचा से हमारे छिद्रों में प्रवेश करके त्वचा की नमी को खत्म कर देते हैं। इसके कारण त्वचा में लालिमा, सूजन, काले दाग, ,त्वचा के लचीलेपन में कमी आ जाती हैं। ऐसे में त्वचा निर्जीव, शुष्क, कमजोर एवं बुझी-बुझी सी हो जाती है। वायु में विद्यमान रसायनिक प्रदूषण त्वचा तथा स्कैल्प के सामान्य सन्तुलन को बिगाड़ देते है। इसके कारण त्वचा में रूखापन, संवेदनहीनता, लाल चकत्ते, मुंहासे, खुजली एवं अन्य प्रकार की एलर्जी एवं बालों में रूसी आदि की समस्याएं उभर सकती है।
लेकिन अगर आप शहरों में रहते हैं तो आप प्रदूषण से कभी छुटकारा नहीं पा सकते लेकिन अच्छी खबर यह है कि आप प्रदूषण से सौन्दर्य को होने वाले नुकसान को काम कर सकते हैं।
आर्युवैदिक घरेलू उपचार आएंगे काम
आर्युवैदिक घरेलू उपचार तथा प्राचीन औषधीय पौधों की मदद से प्रदूषण के सौंदर्य पर पढ़ने वाले प्रभाव को पूरी तरह रोका जा सकता है। आपका सौन्दर्य सामान्य रूप से निखरा रह सकता है। प्राचीन औषधीय पौधों को घर में लगाने से वायु में विषैले तत्वों को हटाकर वायु को स्वच्छ रखा जा सकता है क्योंकि यह पौधे वातावरण में विद्यमान हानिकारक गैसों को सोखकर घर में वातावरण को शुद्ध कर देते है। वायु प्रदूषण का सबसे खतरनाक असर त्वचा पर पड़ता है क्योंकि प्रदूषण के विषैले तत्व त्वचा पर सीधा प्रहार करके त्वचा में विषैले पदार्थो का जमाव कर देते है। वास्तव में यह विषैले पदार्थ त्वचा में खुजली के प्रभावकारी कारक होते हैं। वायु में विद्यमान विषैले पदार्थों का सौंदर्य पर दीघकालीन तथा अल्पकालीक प्रभाव पड़ता है। वायु में विद्यमान रसायनिक प्रदूषण वातावरण में ऑक्सीजन को कम कर देते हैं जिससे त्वचा में समय से पहले झुर्रिया तथा बुढ़ापे के भाव झलकना शुरू हो जाते हैं। प्रदूषण की वजह से त्वचा पर जमे मैल, गन्दगी तथा रासायनिक तत्वों से छुटकारा प्रदान करने के लिए त्वचा की सफाई अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाती है।
चेहरे की खूबसूरती बढ़ाएगी घरेलू चीजें
यदि आपकी त्वचा शुष्क है तो आपको क्लीजिंग क्रीम तथा जैल का प्रयोग करना चाहिए जबकि तैलीय त्वचा में क्लीनिंग दूध या फेशवाश का उपयोग किया जा सकता है। सौंदर्य पर प्रदूषण के प्रभावों को कम करने के लिए चन्दन, यूकेलिप्टस, पुदीना, नीम, तुलसी, घृतकुमारी (एलोवेरा) जैसे पदार्थों का उपयोग कीजिए। इन पदार्थों में विषैले तत्वों से लड़ने की क्षमता तथा बलवर्धक गुणों की वजह से त्वचा में विषैले पदार्थो के जमाव तथा फोडे़, फुन्सियों को साफ करने में मदद मिलती है।
ऐसे रखें बालों का ख्याल
वायु प्रदूषण स्कैल्प पर भी जमा हो जाते हैं। एक चम्मच सिरका तथा घृतकुमारी में एक अंडे को मिलाकर मिश्रण बना लीजिए। मिश्रण को हल्के-2 स्कैल्प पर लगाएं। इस मिश्रण को सिर पर आधा घण्टा तक लगा रहने के बाद ताजे एवं साफ पानी से धो डालिए। आप वैकल्पिक तौर पर गर्म तेल की थैरेपी भी दे सकते हैं। नारियल तेल को गर्म करके इसे सिर पर लगा लीजिए। अब गर्म पानी में एक तौलिया डुबोइए तथा तौलिए से गर्म पानी निचोड़ने के बाद तौलिए को सिर के चारों ओर पगड़ी की तरह बांध कर इसे पांच मिनट तक रहने दीजिए तथा इस प्रक्रिया को 3-4 बार दोहराए। इस प्रक्रिया से बालों तथा स्कैल्प पर तेल सोखने में मदद मिलती है। इस तेल को पूरी रात सिर पर लगा रहने दें तथा सुबह ताजे ठंडे पानी से धो डालिए।
डाइट में शामिल करें ये चीजें
प्रदूषण से जंग में पानी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इस दौरान आप ताजे स्वच्छ पानी को ज्यादा से ज्यादा पीएं। पानी शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकलने और कोशिकाओं के पौष्टिक पदार्थों को बनाएं रखने में मदद करता है। प्रदूषण की वजह से त्वचा को हुए नुकसान की भरपाई पानी से आसानी से की जा सकती है। ओमेगा 3 तथा ओमेगा 6 फैटी एसिड्स त्वचा को प्रदूषण के दुष्प्रभाव से बचाने में अहम भूमिका अदा करते हैं। फैटी एसिड्स त्वचा में आयल शील्ड बना देते हैं जिससे त्वचा को अल्ट्रा वायलेट किरणों से होने वाले नुकसान से सुरक्षा प्राप्त होती है। ओमेगा 3 फैटी एसिड्स, बर्फीले पहाड़ों की नदियों में पाए जाने वाली मछली, अखरोट, राजमा तथा पालक में प्रचूर मात्रा में मिलता है। इसके अलावा ओमेगा 6 चिकन, मीट, खाद्य तेलों,अनाज तथा खाद्य बीजों में पाया जाता है।
ऐसे रखें आंखों का ख्याल
वायु में प्रदूषण तथा गन्दगी से आंखों में जलन तथा लालिमा आ सकती है। इससे बचने के लिए आंखों को ताजे पानी से बार-2 धोएं। कॉटनवूल पैड को ठण्डे गुलाब जल या ग्रीन-टी में डुबोकर आंखों पर रखें। आंखों में आई पैड लगाने के बाद जमीन में गद्दे पर 15 मिनट तक आराम में शवआशन की मुद्रा में लेट जाइए। इससे आंखों में थकान मिटाने में मदद मिलती है तथा आंखों में चमक आती है।
वायु प्रदूषण को रोकने के लिए लगाएं ये पौधे
वायु में प्रदूषण से शहरों में रहने वाले नागरिकों के स्वास्थ्य तथा तन्दरूसती पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। आजकल हम अत्याधिक प्रदूषण स्तर को झेल रहे हैं जिससे सांस तथा फेफड़ों की बीमारी सामान्य बन गई है। घर के अंदर प्रदूषित हवा से सिरदर्द, आखें में जलन जैसी बीमारियां घर कर रही है। वास्तव में सरकारी तथा वैज्ञानिक संगठनों का मुख्य लक्ष्य वर्तमान में विद्यमान प्रदूषण के उच्च स्तर को सामान्य स्तर तक लाना है जिसे हम कुछ औषधीय पौधों को मदद से प्राप्त कर सकते है। इन पौधों में एलोवेरा सबसे लाभदायक माना जाता है जो कि सामान्यतः सभी भारतीय घरों में आसानी से देखा जा सकता है। यह घरों में आक्सीजन को प्रवाह को तेज करता है तथा प्रदूषण के प्रभाव को कम करता है। यह कार्बनडायक्साइड तथा कार्बन मोनोआक्सीइड को सोख कर ऑक्सीजन को वातावरण में छोड़ता है।
वायु प्रदूषण से बचाएंगे ये पौधे
इसके अलावा अंजीर, बरगद, पीपल का वृक्ष, स्पाइडर प्लांट भी हवा को साफ करने में काफी सहायक है। ये हवा में विद्यमान जहरीले तत्वों को सोख लेते हैं। इसके अलावा स्नेक प्लान्ट भी वायु प्रदूषण को रोकने तथा ताजा स्वच्छ हवा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। स्नेक प्लांट को सामान्य बैडरूम में रखा जाता है तथा इसकी देखभाल भी काफी आसान तथा सामान्य है। इसके अलावा ऐरेका पाम, इंग्लिश आईवी, वोस्टनफर्न तथा पीस लिलो जैसे पौधे भी भारत में आसानी से मिल जाते है तथा पर्यावरण मित्र माने जाते हैं।