भगवान शिव के भक्त सारा साल सावन के पवित्र महीने का इंतजार करते हैं। इस पूरे महीने में भक्त भगवान शिव की कृपा पाने के लिए कई उपाय भी करते हैं। शिवलिंग पर जलाभिषेक करके महादेव की कृपा हासिल करते हैं। वहीं सावन में पड़ने वाले सारे सोमवार को व्रत करते हैं। सावन के महीने में कावड़ यात्रा भी निकलती है। माना जाता है कि यदि कोई शिवजी को 16 सोमवार के व्रत नहीं रख पाता तो सावन महीने में आने वाले सोमवार के व्रत रखकर शिवजी से मनचाहा वरदान पा सकता है। इस बार सावन कल से शुरु होने वाला है आज आपको इसके बारे में बताएंगे। तो चलिए जानते हैं....
2 महीने तक रहेगा इस बार सावन
इस बार का सावन बहुत ही खास होगा क्योंकि इस साल सावन पूरे 59 दिनों तक रहने वाला है। वहीं भक्त 4 सोमवार की जगह इस बार 8 सोमवार तक भगवान शिव के उपवास करेंगे। अधिकमास लगने के कारण इस साल सावन दो महीने तक रहेगा। ज्योतिषा शास्त्र की मानें तो हिंदू पंचागों में ऐसा संयोगा पूरे 19 साल बाद बन रहा है जिसमें सावन को दो महीने आ रहे हैं।
4 जुलाई से शुरु होगा सावन
साल 2023 के सावन की शुरुआत 04 जुलाई से होने जा रही है और इसका समापन 31 अगस्त को होगा। इसके अनुसार इस बार सावन 30 नहीं बल्कि 59 दिनों तक रहेगा वहीं भक्त 8 सोमवार तक सावन का व्रत रखेंगे। वैदिक पंचागों की गणना में सौर और चंद्रमास के आधार पर एक चंद्रमास में 354 दिन और सौर मास में 365 दिन होते हैं। दोनों में ही करीबन 11 दिनों का अंतर होता है। ऐसे ही 3 साल के अंतराल में यह 33 दिनों का हो जाता है और हर तीसरे साल के बाद 33 दिनों का एक अतिरिक्त महीना बन जाता है। इस बार 33 दिनों के इस समायोजन को ही अधिकमास कहा जा रहा है। साल 2023 में अधिकमास के समायोजन से सावन 2 महीने का होगा।
भगवान शिव को अति प्रिय है सावन
पौराणिक कथाओं की मानें तो भगवान शिव को सावन महीना बहुत ही प्रिय होता है। ऋषि मार्केण्डेय ने लंबी आयु के लिए सावन महीने में घोर तप किया था और भगवान शिव की कृपा हासिल की थी। सावन मास में किए गए तप से अल्पायु के साथ-साथ मार्केण्डेय चिरंजीवी भी हो गए थे। इसके अलावा सावन के महीने में भगवान शिव पृथ्वी पर अवतार लेकर अपने ससुराल गए थे और ससुराल में अर्घ्य और जलाभिषेक के साथ उनका स्वागत किया गया था वहीं कहा जाता है कि हर साल सावन के महीने में शिव जी अपने ससुराल जाते हैं और ऐसे में पृथ्वी के लोगों को शिवजी की कृपा पाने का अवसर मिलता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन भी सावन महीने में ही हुआ था और इससे निकला विष पीकर शिवजी ने संपूर्ण सृष्टि के रक्षा की थी। विष के कारण शिव जी का कंठ नीला हो गया था तभी विष का प्रभाव कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने शिवजी को जल अर्पित किया था इसलिए शिवजी का सावन महीने में जलाभिषेक किया जाता है।