कोरोना वायरस पूरी दुनिया के लिए आफत बना हुआ है इसलिए हर किसी की नजरें वैक्सीन पर टिकी हुई है। हालांकि रूस ने दावा किया है कि उन्होंने कोरोना की सुरक्षित और कारगार वैक्सीन तैयार कर ली है। रूस का दावा है कि उनकी पहली वैक्सीन स्पुतनिक-वी कोरोना के इलाज में 92% कारगार है। हालांकि रूस की वैक्सीन WHO के शक के घेरे में थी लेकिन फिर भी तीसरे ट्रायल उन्होंने 'स्पुतनिक-V' लॉन्च कर दी।
अमेरिका की वैक्सीन 90% कारगार
बता दें कि जर्मन बायाटेक फर्म बायोनटेक (BioNTech) और अमेरिका की फार्मा कंपनी फाइजर (Pfizer) भी अपनी वैक्सीन को 90% कारगार बता रही है। फाइजर की तुलना में रूस ने 2% ज्यादा सफलता का दावा किया है। स्पुतनिक-वी पहली कोरोना वैक्सीन है, जिसे आखिरी ट्रायल से पहले ही मंजूरी दे दी गई थी।
28 दिन बाद खतरे से बाहर होगा मरीज
अमेरिकी और जर्मन कंपनी का दावा है कि उनकी वैक्सीन 90% कोरोना से लड़ने में सफल है। फाइजर कंपनी ने ट्रायल में कोरोना के 94 मामलों का मूल्यांकन किया, जिसकी दूसरी खुराक के ठीक 7 दिन बाद इससे वायरस खत्म हो गया। कंपनी के मुताबिक, उनकी वैक्सीन लगाने के 28 दिन बाद की मरीज पूरी तरह ठीक हो जाएगा।
भारत में भी रूसी वैक्सीन का ट्रायल
भारत में भी रूस की स्पुतनिक-वी का क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है, जोकि अंतिम चरण में है। हालांकि पिछले महीने देश में रूसी वैक्सीन का ट्रायल रोक दिया गया था, जिसकी वजह से भारत या अन्य देशों में इंसानों पर वैक्सीन का ट्रायल नहीं हुआ।
वैक्सीन से नहीं हुआ कोई साइड-इफैक्ट
मॉस्को ट्रायल में करीब 2,500 वालंटियर को शामिल किया था, जिसपर वैक्सीन का कोई साइड-इफैक्ट नहीं देखने को मिला। वहीं, तीसरे क्लीनिकल ट्रायल में करीब 40,000 वालंटियर शामिल थे और उनपर भी वैक्सीन का कोई दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिला। हालांकि रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये नहीं बताया कि दो दिन पहले कितने लोगों को यह टीका लगाया गया था।
कैसे करती है काम?
अलेक्जेंडर का कहना है कि इसे जल्दबाजी में स्वीकृति दी गई है अगर वैक्सीन का प्रोडक्शन सीमित होता सही रहता। पहले और दूसरे आंकड़ों के मुताबिक, वैक्सीन सेल्युलर और एंटीबॉडी रिस्पांस जेनरेट करती है, जिससे शरीर को कोरोना से लड़ने में मदद मिलती है। अक्टूबर-नवंबर तक वैक्सीन ट्रायल के सटीक नताजे सामने आ जाएंगे। इसके बाद अगले साल फरवरी तक वैक्सीन का अधिक प्रोडक्शन हो पाएगा।
गौरतलब है कि कोरोना वैक्सीन का पंजीयन करवाने वाला रूस पहली देश है। यहां तक कि वैक्सीन की जांच के लिए खुद रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन की बेटी ने खुद यह टीका लगवाया था।