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जबलपुर की रुबीना फ्रांसिस पर देश को नाज, Paris Paralympics में भारत को दिलाया पांचवा मेडल

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 31 Aug, 2024 07:04 PM
जबलपुर की रुबीना फ्रांसिस पर देश को नाज, Paris Paralympics में भारत को दिलाया पांचवा मेडल

भारतीय पैरा-शूटर रुबीना फ्रांसिस पर आज पूरा देश नाज कर रहा है।  मध्य प्रदेश के जबलपुर की  रुबीना  शनिवार को पेरिस पैरालंपिक 2024 खेलों की निशानेबाजी स्पर्धा के वूमेन्स 10 मीटर एयर पिस्टल (SH1) में ब्रॉन्ज मेडल हासिल कर लिया है। वह भारत की झोली में पांचवा मेडल डालने में कामयाब रही।रुबीना फ्रांसिस ने फाइनल मुकाबले में 211.1 अंक हासिल किए।

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अंत में पलटी गेम 

25 वर्ष की रूबिना क्वालीफिकेशन दौर के ज्यादातर हिस्से में शीर्ष आठ निशानेबाजों से पिछड़ रही थीं लेकिन उन्होंने अंत में तेजी दिखाई और पदक दौड़ में पहुंची।वह तीन साल पहले तोक्यो पैरालंपिक के क्वालीफाइंग दौर में भी सातवें स्थान पर रही थी और फिर फाइनल में भी सातवें स्थान पर रही थी। पैरा शूटर रुबीना फ्रांसिस रिकेट्स नामक बीमारी से जूझ रही हैं, वह पैरों से 40 प्रतिशत दिव्यांग है। 


चुनौतियों का सामना करने से नहीं डरती रूबिना

रूबिना अपने शानदार प्रदर्शन से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। उनकी कहानी प्रेरणादायक है, और उन्होंने कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की है।  शारीरिक चुनौतियों का सामना करने के बावजूद उन्होंने खेल में अपना करियर बनाने का निर्णय लिया। बीना की शूटिंग में रुचि बचपन से ही थी। उन्होंने अपने दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास के साथ इस खेल में कदम रखा और जल्द ही अपने कौशल को निखारने लगीं।

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वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बना चुकी है रुबीना

रुबीना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने 2020 टोक्यो पैरालंपिक में भी भाग लिया, जहां उन्होंने महिला 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 इवेंट में भारत का प्रतिनिधित्व किया।  2021 में, उन्होंने पैरा-शूटिंग विश्व कप में गोल्ड मेडल जीता और साथ ही एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड भी स्थापित किया।  उन्होंने कई अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी भाग लिया और मेडल जीते, जिससे वह भारत की प्रमुख पैरा-शूटर्स में से एक बन गईं।

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रुबीना से लेनी चाहिए प्रेरणा

रुबीना की सफलता की कहानी न केवल खेल की दुनिया में बल्कि आम जीवन में भी प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने यह साबित किया है कि चुनौतियां चाहे कैसी भी हों, अगर इच्छाशक्ति और समर्पण हो तो किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। रुबीना फ्रांसिस को भारत में पैरा-शूटिंग के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया है, और वह आज भी कई लोगों के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं।

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