प्रेग्नेंसी का समय महिलाओं को लिए बहुत ही खास होता है। आपने नवजात बच्चे की नाभि पर नाल देखी होगी। इस नाल को अंग्रेजी भाषा में अंबिलिकल कार्ड(Umbilical Cord) कहते हैं। यह महत्वपूर्ण अंग मां के गर्भाश्य में उत्पन्न होता है। इसी गर्भनाल के माध्यम से शिशु को पोषण पहुंचता है। गर्भनाल प्लेसेंटा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। प्लेसेंटा भ्रूण की पोषक थैली जैसी होती है, इस थेली का एक हिस्सा से बच्चे का गर्भनाल और दूसरे सिरे से बच्चे की नाभि जुड़ी होती है।
कैसे काम करता है प्लेसेंटा?
एक्सपर्ट्स के अनुसार, प्लेसेंटा गर्भाश्य की दीवार के साथ लगा हुआ होता है। यह मां के रक्तप्रवाह में से पोषक तत्वों को इकट्ठा करता है और गर्भनाल के द्वारा भ्रूण को स्थानांतरित करता है। जब बच्चे का जन्म होता है तो बच्चे को प्लेसेंटा से अलग करने के लिए अंबिलिकल कोर्ड को बांधकर काट दिया जाता है।
प्लेसेंटा और अंबिलिकल कोर्ड दोनों ही गर्भ में पल रहे बच्चे के जीवन और स्वास्थ्य के लिए बहुत ही आवश्यक है। तो चलिए जानते हैं इसके कुछ अन्य कार्य के बारे में...
किडनी की तरह करता है काम
प्लेसेंटा गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए किडनी की तरह कार्य करता है। यह बच्चे तक खून पहुंचने से पहले ही उसे फिल्टर कर देता है ताकि बच्चे को किसी भी तरह का नुकसान न हो। किसी भी प्रकार का हानिकारक तत्व बच्चे तक न पहुंच पाए।
फेफड़े की तरह भी करता है काम
प्लेसेंटा बच्चे के लिए फेफड़े के तौर पर भी कार्य करता है,क्योंकि गर्भ में पल रहे बच्चे को इसी के जरिए ऑक्सीजन पहुंचता है। इसी के कारण ही बच्चा मां के गर्भ में जीवित रह पाता है।
मां और बच्चे को जोड़ती है गर्भनाल
गर्भनाल मां और बच्चे को जोड़कर रखती है। गर्भावस्था के दौरान मां जो कुछ भी खाती है या फिर पीती है तो इसके जरिए ही बच्चे तक पहुंचता है। इसके अलावा प्लेसेंटा बच्चे के शरीर में विषैले तत्व बनने से रोकती है।
लैक्टोजन बनने में करती है मदद
गर्भनाल मां के शरीर में लैक्टोजन बनाने में भी मदद करती है। यही लैक्टोजन मां के शरीर से दूध बनने की प्रक्रिया को प्रेरित करता है।
बच्चे को देती है पोषण
एक्सपर्ट्स की मानें तो बच्चे के जन्म के कुछ दिनों बाद ही सुखी हुई गर्भनाल टूटकर गिर जाती है। गर्भनाल सिर्फ गर्भ में पल रहे बच्चे को पोषण और विकास देने में मदद करती है।
कई लोग गर्भनाल को संभाल कर रखते हैं, क्योंकि इसके जरिए बच्चे की गंभीर बीमारी या फिर किसी मेडिकल केस की हिस्ट्री को समझने में मदद मिलती है। गर्भनाल के जरिए उस बीमारी का पता लगाया जा सकता है।