कुछ बच्चों को जन्म से ही कुछ ऐसी बीमारी होती है जिसे अनुवांशिक कहा जा सकता है। अनुवांशिक यानी की जेनेटिक्ल बीमारी जिसमें बच्चों को कुछ समस्याएं पेरेंट्स से होती है। इन्हीं अनुवांशिक बीमारियों में से एक है क्लेफ्ट लिप जिसको फांक होंठ भी कहा जाता है। इस समस्या के कारण शिशु के ऊपरी होंठ, मुंह से नाक तक दो हिस्सों में बंट जाते हैं। कुछ बच्चों के होंठ पर थोड़ा सा कटाव होता है वहीं कुछ बच्चों में यह बहुत ही ज्यादा होता है। गंभीर क्लेफ्ट वाले शिशुओं में होंठ नाक तक बीच से पूरा विभाजित हो जाता है। जन्म से बच्चों में होने वाली समस्याओं में से क्लेफ्ट लिप सबसे ज्यादा आम होने वाली समस्या है। हालांकि कुछ मामलों में ये माता-पिता के कारण भी हो सकती है। यह समस्या क्या, क्यों होती है और इसका इलाज क्या है आज आपको इस आर्टिकल के जरिए यह बताएंगे। आइए जानते हैं...
क्या होता है क्लेफ्ट लिप?
क्लेफ्ट लिप जिसे कटा तालु भी कहते हैं यह एक जन्मजात बीमारी है। इस समस्या में ऊपरी होंठ या तालु (मुंह के अंदर ऊपरी हिस्सा) खुला या कटा हुआ होता है। यह मुख्य तौर पर तब होती है जब गर्भ की पहली तिमाही में भ्रूण के शरीर के कुछ हिस्से सही तरह से नहीं जुड़ पाते।
. इस स्थिति में मुंह का ऊपरी हिस्सा पूरी तरह से बंद नहीं हो पाता और वह खुला ही रह जाता है। यह दोश नाक की गुहा तक जा सकता है। यह मुंह के सामने वाले हिस्से से गले तक भी जा सकती है।
. कटे होंठ की स्थिति में ऊपरी होंठ भ्रूण के विकास के दौरान पूरी तरह से नहीं बन पाता। ऐसे में कटे होंठ का प्रभाव अक्सर मसूढ़े तक भी जा सकता है।
कैसे रोकी जा सकती है समस्या?
गर्भ के 20 हफ्ते पूरे होने तक दोष का पता चल सकता है। शिशु के जन्म के बाद उसके संपूर्ण विकास के लिए क्लेफ्ट जैसी खतरनाक समस्या का समय पर इलाज जरुरी है। हालांकि इसका कारण क्या है यह अभी तक नहीं चल पाया है लेकिन गर्भ के दौरान फोलिक एसिड की कमी, धूम्रपान, अल्कोहल और ड्रग की लत जैसे कारक इस समस्या को बढ़ा सकते हैं।
मुख्य कारण
क्लेफ्ट के मरीज को अनेक मनोवैज्ञानिक और शारीरिक समस्याएं होती हैं। हालांकि इसका कारण अभी तक नहीं पता चल पाया है लेकिन मेडिकल विशेषज्ञों की मानें तो इसके कई और भी कारण हो सकते हैं जैसे कुछ जेनेटिक्स और पर्यावरण के कुछ तत्व भी शामिल हैं। आंकड़ों की मानें तो दुनिया भर में 700 में से एक शिशु का जन्म क्लेफ्ट के साथ होता है, भारत में हर साल 35,000 से ज्यादा बच्चों का जन्म क्लेफ्ट के साथ होता है।
बीमारी से बचने के लिए जरुरी है सर्जरी
क्लेफ्ट से बचने के लिए सर्जरी ही सुरक्षित मानी जाती है। यह सर्जरी एक प्रोफेशनल सर्जन ही कर सकता है। जब तक बच्चा पर्याप्त तौर पर स्वस्थ हो तो वह सर्जरी करवा सकता है। मरीज को सर्जरी के 1 या 2 दिन बाद अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है लेकिन उसे कुछ समय तक नियमित डॉक्टर के परामर्श की जरुरत होती है ताकि डॉक्टर उसकी बढ़ने से रोका जा सके। इस बीमारी से जूझ रहे बच्चे या उसके माता-पिता को 2-3 हफ्तों तक सावधानी बरतने की जरुरत होती है जब तक टांके ठीक न हों।
इलाज न किए जाने पर बच्चों को हो सकती है ये समस्याएं
एक्सपर्ट्स की मानें तो क्लेफ्ट का इलाज न होने पर बच्चों की शारीरिक और भावनात्मक सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। क्लेफ्ट का इलाज न किए जाने पर बच्चे अलग रहने लगते हैं उन्हें खाने-पीने, सांस लेने और बोलने में भी समस्या होती है। इस बीमारी के कारण बच्चे याद भी नहीं कर पाते जिसके कारण वह स्कूल छोड़ने पर मजबूर हो जाते हैं और उन्हें रोजगार के अवसर नहीं मिल पाते।