नारी डेस्क: नाग पंचमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से नाग देवताओं की पूजा की जाती है। नागों को पौराणिक कथाओं में भगवान शिव के गले का आभूषण माना जाता है, और वे शक्ति, प्रचुरता, और उर्वरता के प्रतीक हैं।
नाग देवता की पूजा करने से मिलती है सुख-समृद्धि
नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि, भय से मुक्ति, और परिवार की सुरक्षा की कामना की जाती है। मान्यता है कि नाग पंचमी के पावन दिन पर शिव जी का रुद्राभिषेक करने से जीवन की समस्त परेशानियों से छुटकारा मिलता है। साथ ही कुंडली में राहु-केतु का प्रभाव कम होता है। चलिए जानते हैं रुद्रा भिषेक करने का महत्व।
रुद्राभिषेक का महत्व
रुद्राभिषेक भगवान शिव का एक विशेष अनुष्ठान है, जिसमें शिवलिंग पर पवित्र जल, दूध, दही, घी, शहद, और बेलपत्र अर्पित किया जाता है। रुद्राभिषेक का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना और उनके आशीर्वाद से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान करना है। यह अनुष्ठान खास तौर पर नाग पंचमी, महाशिवरात्रि, और श्रावण मास के दौरान किया जाता है।
रुद्राभिषेक के लाभ
- रुद्राभिषेक करने से जीवन में धन, समृद्धि और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
-भगवान शिव को रुद्राभिषेक से प्रसन्न करके व्यक्ति अपने स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से छुटकारा पा सकता है।
-: इस अनुष्ठान से मन की शांति मिलती है और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
-विशेष रूप से कालसर्प दोष और अन्य ग्रह दोषों के निवारण के लिए रुद्राभिषेक अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
-भगवान शिव की कृपा से परिवार की सुरक्षा होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
रुद्राभिषेक का नियम
रुद्राभिषेक करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है, जिससे भगवान शिव की कृपा जल्दी प्राप्त होती है।पूजा शुरू करने से पहले एक संकल्प लिया जाता है, जिसमें भक्त अपनी पूजा के उद्देश्य को स्पष्ट करता है। शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद, चीनी, गंगा जल, बेलपत्र, चंदन, और धूप अर्पित की जाती है।
मंत्र जाप
रुद्राभिषेक के दौरान "ॐ नमः शिवाय" और "महा मृत्युंजय मंत्र" का जाप किया जाता है। पूजा से पहले स्नान कर के शुद्ध कपड़े पहनने चाहिए। शिवलिंग की पवित्रता बनाए रखने के लिए भी शुद्धि का ध्यान रखना चाहिए। पूजा करने के लिए एक आसन पर बैठना चाहिए, और यह ध्यान रखना चाहिए कि पूजन स्थली पर शांति और सकारात्मकता बनी रहे। शिवलिंग पर सामग्रियों को चरणबद्ध तरीके से अर्पित करना चाहिए, जैसे सबसे पहले जल, फिर दूध, और अंत में बेलपत्र। पूजा के बाद सभी उपस्थित व्यक्तियों को प्रसाद वितरित करना चाहिए और भगवान शिव की कृपा के लिए धन्यवाद देना चाहिए।