हमारे देश में आज भी किन्नरो को सामाजिक कलंक के तौर पर देखा जाता है।उन्हें समाज से अलग–थलग कर दिया जाता है, जिसके चलते वे शिक्षा हासिल नहीं कर पाते और ऐसे में भीख मांगने के सिवा उनके पास कोई विकल्प नहीं रहता है। वह नाच-गाकर और ताली ठोक कर किसी तरीके से अपना गुजारा करते है। इस सब के बीच पवन यादव ने कुछ ऐसा कर दिखाया है, जिससे पूरे किन्नर समाज का नाम रोशन हो गया है।
कठिनाइयों का डट कर किया सामना
किन्नर समाज से आने वाली पवन यादव देश की दूसरी और महाराष्ट्र की पहली महिला किन्नर वकील बन गयी हैं। किन्नर होते हुए एडवोकेट बनने का सपना पूरा करने वाली पवन की लिए ये राह आसान नहीं थी, लेकिन उन्होंने हिम्मत ना हारते हुए भी कठिनाइयों का डट कर सामना किया और आख़िरकार वह अपना लक्ष्य हासिल करने में कामयाब रही।
मां- बाप का मिला पूरा साथ
मुंबई के गोरेगांव में रहने वाले पवन को इस सफर में मां- बाप का पूरा साथ मिला। पवन ने बताया था कि- उन्हें उनके मां-बाप की तरफ से हमेशा सहयोग मिला। उनके पिता सरकारी नौकरी में हैं, उन्हें हमेशा पवन के बारे में बुरा-भला सुनना पड़ा है लेकिन वह हर बात को सह लेते थे। ये सब देखकर पवन ने ठान लिया था वह एक दिन ऐसा कुछ करेगी जिससे उनके मां- बाप का नाम रोशन हो।
एलएलबी की पढ़ाई के दौरान भी आई दिक्कतें
किन्नर एडवोकेट पवन यादव के मुताबिक एलएलबी की पढ़ाई के दौरान भी काफी दिक्कतें आई। लॉ कॉलेज में वह आम लड़कों की तरह रहने की कोशिश करती थी की ताकि उनके साथियों के बीच उनकी असली पहचान छुपी रही और वो अपनी पढ़ाई अच्छे से कर सके। अब उन्होंने किन्नरों के प्रति समाज के नजरिये को बदलने की अपील करते हुए किन्नरों के साथ आने की बात कही।
14 साल की उम्र में हुआ लैंगिक शोषण
पवन ने यह भी बताया कि उन्होंने वकील बनने का फैसला क्यों लिया। उन्होंने बताया कि वह 14 साल के थे तभी उनका लैंगिक शोषण हुआ था। इसके लिए उन्होंने न्याय की गुहार लगाई लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लगा हर तरफ उन्हे दुत्कारा गया। इसके बाद उन्होंने सोच लिया कि वह खुद एक वकील बनेंगे और किन्नर समाज के लिए कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।