नारी डेस्क: सनातन धर्म में कई सारे व्रत होते हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण इनमें से होता है भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी का व्रत, जो हर महीने में 2 बार आता है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार की पूजा की जाती है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखा जाता है। कहते हैं समुद्र मंथन के समय अमृत कलश के लिए देवों और दानवों के बीच काफी खतरनाक युद्ध हो रहा था और इसी बीच भगवान विष्णु ने मोहिनी का अवतार लेकर दानवों को मोहित कर लिया था। अमृत कलश उनसे लेकर देवताओं को दे दिया था। इसलिए मोहिनी एकादशी पर भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इस बार मोहिनी एकादशी किस दिन है और इस दिन कैसे पूजा करनी चाहिए।
कब है मोहनी एकादशी
हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि का आरंभ 18 मई को सुबह 11 बजकर 22 मिनट पर हो रहा है। वहीं इसका समापन 19 मई को दोपहर 1 बजकर 50 मिनट पर हो जाएगा। उदया तिथि के लिहाज से देखा जाए तो इस साल मोहिनी एकादशी का व्रत और पूजा 19 मई को की जाएगी। मोहिनी एकादशी की पूजा के शुभ मुहूर्त की बात करें तो 19 मई को सुबह 7 बजकर 10 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक पूजा का शुभ समय है। व्रती और अन्य भक्त इस समय भगवान विष्णु की विधिवत पूजा कर सकते हैं। मोहिनी एकादशी का पारण 20 मई सुबह 5 बजकर 28 मिनट से 8 बजकर 12 मिनट तक किया जा सकता है।
मोहिनी एकादशी की पूजा विधि
इस दिन व्रती को सुबह उठकर नहाना है और इसके बाद एक चौकी पर भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करनी है। इसके पश्चात भगवान को स्नान करवाएं और उनको पीले वस्त्र पहनाएं। इसके बाद चंदन का तिलक लगाकर उनके सामने धूप और दीप प्रज्वलित करें। एकादशी के व्रत का संकल्प करते हुए तुलसी दल, नारियल, फल और मिठाई अर्पित करें। पंचामृत चढ़ाएं और भगवान की आरती करें। इसके पश्चात ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र और विष्णु सहस्रनाम का जाप करें। इसके बाद गरीबों को भोजन दान दें। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा और दान करने भगवान सारे पापों से छुटकारा दिलवा देते हैं। इस दिन व्रत रखने से 1 हजार यज्ञों का फल मिलता है।