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कान्हा का अद्भुत मंदिर, जहां तेज बोलने से नाराज हो जाते हैं भगवान!

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 24 Sep, 2024 12:49 PM
कान्हा का अद्भुत मंदिर, जहां तेज बोलने से नाराज हो जाते हैं भगवान!

नारी डेस्क: मथुरा का बांके बिहारी मंदिर देश-विदेश में भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के बीच अत्यधिक प्रसिद्ध है। यह मंदिर न केवल अपने धार्मिक महत्व के लिए, बल्कि इसके साथ जुड़े रहस्यों और परंपराओं के लिए भी विशेष माना जाता है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां भगवान के सामने तेज आवाज में बोलना और घंटी बजाना वर्जित है। आइए, जानते हैं इस अद्भुत मंदिर से जुड़े रहस्यों के बारे में विस्तार से।

मंदिर में घंटियां क्यों नहीं हैं?

बांके बिहारी मंदिर की सबसे अनूठी बात यह है कि इस मंदिर में कहीं भी घंटी नहीं लगाई गई है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, बांके बिहारी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण बाल रूप में विराजमान हैं। जिस प्रकार छोटे बच्चे को तेज आवाज में डर लग सकता है, उसी प्रकार इस मंदिर में भी माना जाता है कि अगर यहां घंटियां लगाई गईं तो उनकी आवाज से भगवान को असुविधा हो सकती है। इस कारण मंदिर में घंटियां बजाने की इजाजत नहीं है और भक्तजन भी इस परंपरा का सम्मान करते हुए यहां शांतिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं।

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 ऊंची आवाज में आरती की मनाही

बांके बिहारी मंदिर में आरती भी धीरे और शांत स्वर में की जाती है। मंदिर की परंपराओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण को किसी प्रकार की तेज आवाज से परेशानी हो सकती है, इसलिए यहां जोर से बोलने या ऊंची आवाज में आरती करने की अनुमति नहीं है। भक्त भगवान के सामने अपनी भक्ति को सादगी और शांति से प्रकट करते हैं।

 पर्दा करने की परंपरा

मंदिर में एक और अनोखी परंपरा है जिसमें भगवान के सामने समय-समय पर पर्दा डाल दिया जाता है। यह इसलिए किया जाता है ताकि भगवान बांके बिहारी किसी भक्त से अत्यधिक प्रभावित होकर उसके साथ न चले जाएं। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण अपने भक्तों से अत्यंत प्रेम करते हैं और इसलिए यह परंपरा उनके भावनात्मक जुड़ाव को नियंत्रित करने के लिए अपनाई गई है।

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 मंगला आरती की विशेषता

बांके बिहारी मंदिर में साल भर में सिर्फ एक बार मंगला आरती होती है, और वह अवसर होता है लड्डू गोपाल जी के जन्मदिन का। इस दिन भगवान के चरण, बांसुरी और मुकुट के दर्शन होते हैं, जो आमतौर पर भक्तों के लिए अदृश्य रहते हैं। मंगला आरती के दिन भक्तजन इस दुर्लभ अवसर का आनंद उठाते हैं और भगवान की विशेष झलक प्राप्त करते हैं।

मंदिर के प्रति भक्तों की आस्था

यहां आने वाले भक्त बांके बिहारी मंदिर की परंपराओं का सच्चे मन से पालन करते हैं। मंदिर के नियमों का पालन करना भक्तों की आस्था और प्रेम को दर्शाता है। यह अद्वितीय परंपराएं ही हैं जो बांके बिहारी मंदिर को अन्य कृष्ण मंदिरों से अलग बनाती हैं।

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बांके बिहारी मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं है, बल्कि यहां के नियम और परंपराएं भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्तों की गहरी आस्था और प्रेम का प्रतीक हैं। शांतिपूर्ण वातावरण और अद्भुत परंपराओं के कारण यह मंदिर विश्वभर के श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है।


 

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