22 DECSUNDAY2024 8:43:13 PM
Nari

अमेरिका में LGBTQ कम्युनिटी को मिला शादी करने का अधिकार, बाइडल बोले- 'लव इज लव'

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 09 Dec, 2022 12:09 PM
अमेरिका में LGBTQ कम्युनिटी को मिला शादी करने का अधिकार, बाइडल बोले- 'लव इज लव'

जापान के बाद अब अमेरिका ने  समलैंगिक जोड़ों को बड़ा तोहफा दिया है। अमेरिकी कांग्रेस ने समलैंगिक विवाह और अंतरजातीय विवाह के लिए कानूनी मंजूदी दे दी है। इस ऐतिहासिक कानून को पारित कर इसे राष्ट्रपति जो बाइडेन के हस्ताक्षर के लिए व्हाइट हाउस भेज दिया है। बाइडेन ने भी इस फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि- 'लव इज लव' और अमेरिका में रहने वाले हर नागरिक को उस व्यक्ति से शादी करने का हक है, जिससे वो प्यार करता है।


बाइडेन के हस्ताक्षर का इंतजार

सीनेट में पारित होने के एक सप्ताह बाद प्रतिनिधि सभा ने  258-169-1 मत से विवाह अधिनियम को पारित कर दिया है। विधेयक पर हुए मतदान के दौरान सीनेट डेमोक्रेटिक कॉकस के सभी सदस्यों और 12 रिपब्लिकन्स ने इसके पक्ष में मतदान किया। बिल के समर्थन में 61 वोट पड़े थे, जब्कि 36 लोगों ने बिल का विरोध किया था।  सुप्रीम कोर्ट के रूढ़िवादी न्यायधीश के संकेत के बाद इस वर्ष गर्मियों में विधेयक पेश किया गया था। 

PunjabKesari
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जताई खुशी

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक बयान में कहा- " आज कांग्रेस ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया कि अमेरिकियों को उस व्यक्ति से शादी करने का अधिकार है जिसे वे प्यार करते हैं। यह कानून लाखों LGBTQI+ और अंतरजातीय जोड़ों को मन की शांति देगा, जिन्हें अब सुरक्षा की गारंटी दी गई है."। दुनिया में 32 देशों में सेम सेक्स मैरिज को मान्यता मिली हुई है। हालांकि कुछ देशों में समलैंगिक रिलेशनशिप मान्य है, लेकिन मैरिज की परमिशन नहीं है।

PunjabKesari
इस देशों में समलैंगिक विवाह वैध

नीदरलैंड दुनिया का पहला ऐसा देश है जहां 2001 में समलैंगिक जोड़ों के विवाह को मंजूरी मिली, तब से 17 यूरोपीय देश समलैंगिक विवाह का वैध बना चुके हैं। इस लिस्ट में  इनमें ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, ब्रिटेन, डेनमार्क, फिनलैंड, फांस, जर्मनी, आइसलैंड, आयरलैंड, लक्जमबर्ग, माल्टा, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, स्लोवेनिया और स्विटजरलैंड का नाम शामिल है। याद हो कि जापान ने हाल ही में समलैंगिक जोड़ों को  पार्टनरशिप सर्टिफिकेट देने का फैसला लिया था। 

 PunjabKesari
क्या है भारत का कानून

भारत की बात करें तो यहां 2018 तक समलैंगिक संबंधों को गैर-कानूनी माना जाता रहा है। आईपीसी की धारा 377 के तहत  "किसी भी पुरुष, महिला या जानवर के साथ अप्राकृतिक शारीरिक संबंध" को गैरकानूनी और दंडनीय बनाता था. हालांकि साल 2018 में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक संबंधों की मान्यता दे दी है। संविधान में दिए भारत के नागरिक को अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार तो दिए गए हैं लेकिन इसका इस्तेमाल कर समलैंगिक विवाह को मौलिक अधिकार नहीं बनाया जा सकता है. सामान्य विवाह को भी भारतीय संविधान के अंतर्गत मौलिक या संवैधानिक अधिकार के तौर पर कोई स्पष्ट मान्यता नहीं है। 
 

Related News