नारी डेस्क: पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे दर्द, चिड़चिड़ापन, और मूड स्विंग्स। लेकिन कुछ महिलाओं को पीरियड्स से पहले बुखार, थकान, और कमजोरी का भी सामना करना पड़ता है। इस समस्या को 'पीरियड फ्लू' कहा जाता है। अगर आप भी पीरियड्स से पहले ऐसी दिक्कतों से जूझ रही हैं, तो आप अकेली नहीं हैं। आइए जानते हैं पीरियड फ्लू के कारण, लक्षण, और इससे बचने के उपाय।
क्या है पीरियड फ्लू?
पीरियड फ्लू मासिक धर्म चक्र से जुड़ी एक स्थिति है, जिसमें पीरियड्स से पहले और दौरान फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसमें बुखार, थकान, बदन दर्द, सिर दर्द, और सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण होते हैं। हालांकि, यह वास्तविक फ्लू (इन्फ्लूएंजा) नहीं है, लेकिन इसके लक्षण फ्लू जैसे ही होते हैं, इसलिए इसे 'पीरियड फ्लू' कहा जाता है।
हार्मोनल असंतुलन है जिम्मेदार
पीरियड फ्लू का मुख्य कारण हार्मोन में होने वाले बदलाव होते हैं। मासिक धर्म चक्र के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव होता है, जिससे यह स्थिति पैदा होती है। ओव्यूलेशन के बाद अगर गर्भधारण नहीं होता, तो इन हार्मोन्स का स्तर गिरने लगता है, जो सिरदर्द, मूड स्विंग्स, और थकान जैसे लक्षण उत्पन्न करता है।
पीरियड्स के दौरान गर्भाशय की लाइनिंग में प्रोस्टाग्लैंडीन का उत्पादन होता है, जिससे मस्तिष्क के तापमान नियंत्रक हिस्से हाइपोथैलेमस पर असर पड़ता है और इससे शरीर का तापमान बढ़ सकता है। इसके अलावा, ऑव्युलेशन और हार्मोनल असंतुलन भी बुखार का कारण बन सकते हैं।
पीरियड फ्लू के प्रमुख लक्षण
बुखार और बदन दर्द पीरियड्स से कुछ दिन पहले शरीर में हल्का बुखार आ सकता है। इसके साथ ही बदन और मांसपेशियों में दर्द होना सामान्य है। थकान और कमजोरी पीरियड्स के दौरान हार्मोनल बदलाव के कारण थकान और कमजोरी महसूस होती है। शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है और हर काम भारी लगने लगता है। सिरदर्द कुछ महिलाओं को हार्मोनल असंतुलन के कारण सिरदर्द या माइग्रेन का सामना करना पड़ता है। मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ापन इस समय मूड में बदलाव आम है, महिलाएं खुद को तनावग्रस्त, चिड़चिड़ी और निराश महसूस कर सकती हैं। सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण कई महिलाओं को इस दौरान सर्दी-जुकाम, गले में खराश, और नाक बंद होने जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।
पीरियड फ्लू से बचने के उपाय
1. नमक और चीनी का सेवन कम करें ज्यादा नमक और चीनी खाने से शरीर में सूजन और असंतुलन हो सकता है, इसलिए इनका सेवन नियंत्रित करना जरूरी है।
2. भरपूर नींद लें अच्छी नींद से शरीर को आराम मिलता है और थकान, चिड़चिड़ापन, और मूड स्विंग्स से निपटने में मदद मिलती है।
3. कैल्शियम की मात्रा बढ़ाएं कैल्शियम पीएमएस के लक्षणों को कम करता है और मूड में सुधार करता है। कैल्शियम युक्त आहार जैसे दूध, दही, और हरी सब्जियों का सेवन बढ़ाएं।
4. एक्सरसाइज करें नियमित व्यायाम करने से हार्मोनल संतुलन बना रहता है और मांसपेशियों के दर्द में भी आराम मिलता है।
5. गर्म सेंक से आराम पाएं पीरियड्स के दौरान पेट या पैरों में दर्द हो तो गर्म सेंक देने से आराम मिलता है और मांसपेशियों के दर्द में कमी आती है।
6. तनाव से बचें तनाव हार्मोनल असंतुलन को बढ़ा सकता है। इसलिए ध्यान, योग, या हल्का संगीत सुनकर मन को शांत रखने की कोशिश करें।
कब करें डॉक्टर से संपर्क?
यदि आपको पीरियड्स के दौरान या उससे पहले बुखार के साथ गंभीर थकान, कमजोरी, और अन्य लक्षण दिखते हैं, जो आपको सामान्य महसूस नहीं कराते, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। एक विशेषज्ञ आपकी स्थिति को समझकर सही उपचार और सुझाव दे सकता है।
पीरियड फ्लू एक आम समस्या है, लेकिन इसे अनदेखा करना सही नहीं है। हार्मोनल बदलावों के कारण शरीर में कई तरह के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, जिनसे निपटने के लिए सही उपाय अपनाना जरूरी है। स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार, और नियमित व्यायाम इस स्थिति को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।