हर कोई अपनी जिंदगी में एक गोल जरुर सेट करता है और उसे पाने के लिए हर तरह की संभव कोशिश भी करता है। जिंदगी में कुछ पाने की चाह हमारे इरादे और मजबूत करती है तथा हमें जीने का एक नया मतलब देती है। सिर्फ बड़ों ही नहीं बल्कि बच्चों के लिए भी एक लक्ष्य निर्धारित करना बहुत जरूरी है, ताकि वो शुरुआत से ही अपने आप को तैयार कर सकें, खासकर युवावस्था में। जब बच्चे 16 की उम्र पार करते हैं तो वो आसानी से भटक सकते हैं लेकिन अगर उनका लक्ष्य तय होगा तो वो रास्ते से भटकेंगे नहीं।
बढ़ता है साहस
जब बच्चे अपनी लाइफ में गोल सेट करते हैं तो उनका साहस बढ़ता है और वह पहले के मुकाबले ज्यादा मेहनती होते हैं। कॉम्पिटिशन उन्हें उनकी कमजोरियों से लड़ना सिखाता है लेकिन उन्हें दूसरे बच्चों की बजाए खुद से ही कॉम्पिटिशन करना सिखाएं क्योंकि किसी को अपनी दावेदार मानने से उनके अंदर नकारात्मकता पैदा हो सकती है। ऐसे में उन्हें खुद से ही बेहतर होना सिखाएं।
लाइफ को मिलता है एक नया मतलब
बच्चों को जब अपनी लाइफ को लेकर गोल पता होंगे तो वो आसानी से आगे अपनी राह चुन पाएंगे। हर नई सोच उनके दिमाग के साथ-साथ शरीर को भी तेज करने में मदद करेगी। इससे जिंदगी को एक नई दिशा मिलती है।
लाइफ को लेकर फोक्स्ड
जब आप अपने गोल्स को पाने के लिए कोशिशें करते हैं तो वो खुद से कई वादे कर लेते हैं। यही नहीं, वो खुद के लिए एक रूटीन भी सेट कर लेते हैं और ज्यादा फोक्स्ड हो जाते हैं।
आत्मविश्वास बढ़ाने में मददगार
जब बच्चे अपने गोल्स को लेकर फोक्स्ड हो जाते हैं तो उनके अंदर जुनून व आत्मविश्वास भी पैदा होता है। इससे उन्हें भविष्य में परेशानियों का सामना करना में भी मदद मिलती है।
लक्ष्य निर्धारित करना बहुत जरूरी है, ताकि वो शुरुआत से ही अपने आप को तैयार कर सकें, खासकर युवावस्था में। जब बच्चे 16 की उम्र पार करते हैं तो वो आसानी से भटक सकते हैं लेकिन अगर उनका लक्ष्य तय होगा तो वो रास्ते से भटकेंगे नहीं।