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Shattila Ekadashi 2021: तिल के प्रयोग से कटेंगे दुख, जानिए तिथि, मुहूर्त और व्रत कथा

  • Edited By neetu,
  • Updated: 27 Jan, 2022 05:07 PM
Shattila Ekadashi 2021: तिल के प्रयोग से कटेंगे दुख, जानिए तिथि, मुहूर्त और व्रत कथा

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा व व्रत रखा जाता है। सालभर में कुछ 24 एकादशी की तिथियां पड़ती है। इसके साथ ही हर एकदशी अलग-अलग नामों से जानी जाती है। माघ मास के कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि षट्तिला एकादशी कहलाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने व श्रीहरि की पूजा करने से शुभफल की प्राप्ति होती है। चलिए जानते हैं  षट्तिला एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त व महत्व...

शुभ मुहूर्त

षट्तिला एकादशी आरंभ- 27 जनवरी 2022, दिन गुरुवार, रात्रि 02:16 मिनट से
षट्तिला एकादशी समाप्त- 28 जनवरी 2022, दिन शुक्रवार, रात्रि 11:35 मिनट तक रहेगी।
इसकी उदय तिथि 28 होने से एकादशी का व्रत शुक्रवार को रखा जाएगा।
एकादशी व्रत पारण का समय 29 जनवरी 2022, दिन शनिवार, सुबह 07:11 मिनट से सुबह 09:20 मिनट तक

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षट्तिला एकादशी का महत्व

षट्तिला यानि तिल का 6 तरीकों से प्रयोग करना। ज्योतिषशास्त्र अनुसार, इस दिन तिल का स्नानस उबटन, तर्पण, सेवन, आहुति व दान करने से जीवन में पापों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही व्यक्ति को बैकुंड में स्थान मिलता है।

षट्तिला एकादशी व्रत कथा-

पौराणिक कथा अनुसार, प्राचीन काल में पृथ्वी लोक पर एक विधवा ब्राह्मणी रहती थी। वे भगवान विष्णु जी की परम भक्त थी। वे श्रीहरि की पूरी श्रद्धा से पूरा करती है। एक बार उसने 1 माह तक व्रत रखकर भगवान जी की उपासना की। व्रत के प्रभाव से ब्राह्मणी का शरीर तो शुद्ध हो गया मगर उसने कभी भी अन्न का दान नहीं किया था। एक बार श्रीहरि स्वयं उस ब्राह्मणी के पास भिक्षा लेने गए। भगवान द्वारा भिक्षा मांगने पर उसने एक मिट्टी का पिण्ड उन्हें पकड़ा दिया।
इसके बाद जब ब्राह्मणी ने देह त्यागकर स्वर्ग पहुंची तो उसे वहां पर एक खाली कुटिया और आम का पेड़ मिला।

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उस खाली कुटिया को देखकर ब्राह्मणी ने भगवान जी ने सवाल किया कि मैं तो धर्मपरायण हूं फिर मुझे खाली कुटिया क्यों मिली? तब स्वयं विष्णु जी ने उस बताया कि अन्नदान न करने और उन्हें मिट्टी का पिण्ड देने के कारण उसे खाली कुटिया मिली है। तब भगवान विष्णु ने उस ब्रह्माणी से कहा कि जब देव कन्याएं आपसे मिलने आएं उस समय आप अपना द्वार उनसे षटतिला एकादशी के व्रत का विधान सुनकर ही खोलना। ब्राह्मणी ने ऐसा ही किया। इसके साथ ही उसने पूरी श्रद्धा व विधि-विधान से षटतिला एकादशी का व्रत किया। ऐसा करने से उसपर भगवान जी असीम कृपा होने से उसकी कुटिया धन धान्य से भर गई।

pc: jansatta

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