महिलाएं हर मुश्किल वक्त में अपने पति और अपने परिवार के साथ खड़ी हो जाती है। चाहे उसे वो काम आता हो या नहीं लेकिन परिवार का सहारा बनने के लिए और बच्चों का पेट पालने के लिए तो वह कुछ भी कर जाती है और आज हम आपको एक ऐसी ही महिला की कहानी बताने जा रहे हैं जिन्हें पूदे देश में fisherwoman के नाम से पहचाना जाता है लेकिन इस सफलका को पाना उनके लिए आसान नहीं था।
भारत की पहली फिशर वुमन हैं के. सी रेखा
हम जिस महिला की बात कर रहे हैं उनका नाम के. सी रेखा है। वह भारत की पहली फिशर वुमन हैं। वह केरल थ्रिशूर जिले के चवक्कड़ गांव की रहने वाली हैं। आपने बहुत सारी मछुआरन देखी होंगी लेकिन रेखा उनसे इसलिए अलग है क्योंकि रेखा को भारत सरकार की तरफ से इंटरनेशनल बार्डर पर समुद्र की गहराइयों में जाकर मछली पकड़ने का लाइसेंस प्राप्त है लेकिन यह काम रेखा ने अपनी मर्जी से नहीं लेकिन मजबूरी में शुरू किया था।
इस एक घटना के बाद बुरी हो गई थी परिवार की हालत
समुद्र में जाना और ढलते सूरज को देखना, इसकी लहरों की आवाज सुनना सबको बहुत अच्छा लगता है लेकिन यही समुद्र आपकी जान भी ले सकता है और यही लहरें आपका घर परिवार भी नष्ट कर सकती हैं। कुछ ऐसा ही हुआ था रेखा के साथ। 2004 में जब सुनामी आई तो भारत में बहुत सी जगह पर बुरा हाल देखने को मिला। इससे सबसे नुकसान हुआ मछुआरों को। इसी सुनामी की घटना के बाद रेखा के परिवार की भी हालत खराब हो गई थी। रेखा के पति पहले यह काम करते थे लेकिन सुनामी के बाद मानों जैसे सब कुछ खत्म हो गया हो।
पति का मुश्किल समय में दिया साथ
इतने बड़े समुद्र में जाकर मछलियां पकड़ने का काम अकेला व्यक्ति बिल्कुल भी नहीं कर सकता है। इसके लिए उसे हमेशा किसी साथ की जरूरत होती है लेकिन रेखा के पति को अपने साथ काम करने वाले नहीं मिल रहे थे और जो मिल रहे थे वह पैसे भी मांग रहे थे लेकिन आर्थिक हालत ठीक न होने के कारण रेखा के पति किसी को काम पर भी नहीं रख सकते थे ऐसे में रेखा ने अपने घर की आर्थिक हालत देखी और ठान लिया कि वह पति के साथ काम करेंगी और उनकी हिम्मत बनेंगी।
समुद्र की गहराई को बना लिया अपना
पति के साथ काम करते करते रेखा ने समुद्र की गहराईयों को अपना बनाया और वह डरी नहीं क्योंकि उसके सामने हमेशा अपने परिवार की तस्वीर आ जाती। इसी कारण से रेखा की कड़ी मेहनत को देखते हुए सरकार ने उन्हें लाइसेंस भी दिया है जो कि बहुत मुश्किल से मछुआरों को मिलता है। क्योंकि इसके लिए आपको बहुत सारी जानकारी होनी चाहिए जैसे कि समुद्र का कौन सा रास्ता सही है। मौसम कैसा है। रेखा बताती हैं कि वह इस काम को करने से पहले ‘कदल्लमा’ नदी की देवी की पूजा करके ही समुद्र में नांव को उतारती हैं।
पति से मिली प्रेरणा
रेखा की मानें तो उन्हें इस काम की प्रेरणा पति से मिली है। देखा जाए तो यह काम सच में बहुत मुश्किल है इसका कारण है कि आपको मछलियां पकड़ने के लिए बड़े बड़े जाल तक पकड़ने पड़ते हैं और मछलियों का भार उठाना पड़ता है इस काम में रेखा काफी थक जाती हैं लेकिन वह पति की तरफ देखती है और काम करने के लिए और प्रेरित हो जाती है वहीं रेखा के पति को भी उन पर गर्व है। रेखा का इस काम को करने का एक उद्देश्य यह भी था कि वह अपने बेटियों को पढ़ाई करवा सकें और उनके परिवार की आर्थिक हालत ठीक हो पाए।
रेखा कहती हैं कि लोग किसी अच्छे रेस्टोरेंट में जाते हैं और अच्छी से अच्छी मछलियों का लुत्फ उठाते हैं लेकिन समुद्र में जाकर मछली को पकड़ना काफी मुश्किलों से भरा सफर होता है। हम भी रेखा के इस साहस को सलाम करते हैं।