मान्यताओं के अनुसार, जब सूर्य अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तो राशि चक्र में बदलाव आते हैं। ऐसे में इस राशि चक्र को सौर नव वर्ष भी कहा जाता है। केरल में इसी दिन के साथ नए साल की शुरुआत होती है। साथ में इस दिन केरल के लोगों का पवित्र त्योहार विषु भी मनाया जाता है। आपको बता दें कि विषु का त्योहार पूरे दक्षिण भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार विषु आज यानी की 15 अप्रैल को मनाया जा रहा है तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर इस त्योहार की मान्यता क्या है और यह क्यों मनाया जाता है...
ऐसे मनाया जाता है विषु का पर्व
इस त्योहार के दिन भगवान विष्णु के स्वरुप श्री कृष्ण की धूमधाम से पूजा की जाती है। केरल में इस दिन से पहले ही लोग रात को 12 बजे नए कपड़े, गहने, फल, सब्जियां, भगवदगीता, रामायण आदि को सजाकर रख लेते हैं। इसके बाद अगले दिन सुबह पहले उठकर वह भगवान का दर्शन करते हैं। इस रस्म को विषुकानी भी कहते हैं। इसके बाद मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन और पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन भगवान को कई तरह के विशेष पकवानों का भी भोग लगाया जाता है। भोग के लिए एक खास बर्तन इस्तेमाल किए जाते हैं जिन्हें उराली कहते हैं। भगवान को भोग लगाया जाता है और इसके बाद सभी विषु भोजन करते हैं। विषु भोजन में 26 तरह के व्यंजन होते हैं। विषु में महिलाएं कसुवु साड़ी पहनती हैं और पुरुष धोती पहनते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से घर-परिवार में पूरे साल सुख-समृद्धि आती है इसके बाद घर के बड़े-बुजुर्ग आशीर्वाद के रुप में छोटों को पैसे भी देते हैं।
इसलिए मनाया जाता है विषु
मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्य जब राशि परिवर्तन करते हैं तो इसका सीधा प्रकाश भगवान कृष्ण पर पड़ता है ऐसे में इसी खगोलीय परिवर्तन के चलते केरल में लोग इस दिन को नए साल के रुप में मनाते हैं। वहीं एक कथा के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था इसलिए इस दिन कृष्ण जी की पूजा भी की जाती है। विषु वाले दिन माता-पिता अपने बच्चों को श्रीकृष्ण को कान्हा के जैसे सजाते हैं।
सूर्य देवता की वापसी का पर्व है विषु
एक अन्य कथा की मानें तो विषु का त्योहार सूर्य देव की वापसी का पर्व है। एक बार जब लंकापति राजा रावण ने सूर्य भगवान को पूर्व से निकलने पर रोक लगी दी थी तो जब रावण की मृत्यु हुई तो उसी दिन से सूर्य देव पूर्व दिशा से निकलने लगे। मान्यताओं के अनुसार, तभी से विषु का पर्व मनाने की शुरुआत हुई थी।