शिव भक्तों का सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया है। पहले तो इस पावन महीने दौरान शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रहती थी। मगर अब कोरोना के कहर के कारण देवालयों और शिवालयों में पहले जैसी चहल-पहल नहीं है। आज हम आपको भगवान शिव के एक रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताते है। जहां पर स्थापित शिवलिंग दिन में 3 बार रंग बदलता है। तो चलिए जानते उस पवित्र मंदिर के बारे में...
कहा हैं मंदिर?
भगवान शिव का यह मंदिर राजस्थान के धौलपुर के बीहड़ों में बना हैं। यह मंदिर भगवान शिव के अचलेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव की विशेष तौर पर पूजा-अर्चना की जाती है।
किन रंगों में बदलता है शिवलिंग?
इस मंदिर की खास और चौकाने वाली बात है कि यहां पर स्थापित शिवलिंग दिन में 3 बार रंग बदलता है। माना जाता है कि शिवलिंग सुबह के समय लाल रंग का होता है। दोपहर में केसरिया रंग का होकर रात को सांवले रंग में बदल जाता है। ऐसे में दूर-दूर से लोग इस शिव मंदिर में शिवलिंग के दर्शन करने आते हैं।
क्यों बदलता है रंग?
असल में इस शिवलिंग के रंग बदलने की वजह अभी तक रहस्यमयी है। बहुत से वैज्ञानिकों ने इसके पीछे का कारण खोजने की कोशिश की पर वे नाकाम रहें। कहा जाता है कि भगवान शिव का यह मंदिर काफी पुराना है। यह धोलपुर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर चम्बल नदी के पास बीहड़ों में बना है। असल में भगवान शिव के इस अचलेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना के संदर्भ में भी कोई कुछ नहीं जानता है। महादेव जी का यह मंदिर शुरूआत में बीहड़ में होने से लोग कम आते हैं। मगर अब अपनी मुरादें पूरी करने के लिए दूर-दूर से लोग यहां लाखों की संख्या में आते हैं।
मनोकामना होती है पूरी
सावन का यह महीना भगवान शिव को अतिप्रिय है। इसलिए इस दौरान जो भी उनकी भक्ति करता है। भगवान शिव उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। खासतौर पर कुंवारे लोगों को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। मान्यता है कि इस पावन महीने में भोलेनाथ की पूजा- अर्चना करने वाले कै मनचाहा वर मिलता है। इसलिए सावन के महीने में यहां दूर- दूर से शिव भक्त आते हैं।
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