विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में चाड के पूर्वी हिस्से में स्थित औआडाई प्रांत में हेपेटाइटिस ई के प्रकोप की घोषणा की है। जनवरी और अप्रैल 2024 के बीच, दो स्वास्थ्य जिलों से हेपेटाइटिस ई के 2,093 संदिग्ध मामले सामने आए। कन्वरसेशन अफ्रीका ने गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और हेपेटोलॉजिस्ट कंसल्टेंट कोलावोले ओलुसेई अकांडे से हेपेटाइटिस ई के कारणों, लक्षणों, प्रसार और उपचार के बारे में बताने के लिए कहा।
हेपेटाइटिस क्या है और कितने प्रकार का होता है?
हेपेटाइटिस लीवर की सूजन है। दरअसल लीवर विभिन्न चोटों या हानिकारक एजेंटों पर इसी तरह से प्रतिक्रिया करता है। हेपेटाइटिस विभिन्न प्रकार के संक्रामक वायरस और गैर-संक्रामक एजेंटों के कारण होता है, जिससे कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं, जिनमें से कुछ घातक हो सकती हैं। सामान्य कारणों में वायरस (वायरल हेपेटाइटिस), शराब का अत्यधिक सेवन (अल्कोहल हेपेटाइटिस), लीवर में अत्यधिक वसा (स्टीटो-हेपेटाइटिस), दवाएं और विषाक्त पदार्थ (विषाक्त हेपेटाइटिस) और ऑटोइम्यूनिटी (ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस) शामिल हैं। रोग के भी कई प्रकार होते हैं। सबसे आम, विशेष रूप से चाड जैसे विकासशील देशों में, वायरल हेपेटाइटिस हैं।
लाखों लोग आ चुके है इसकी चपेट में
पांच मुख्य वायरस हैं जो वायरल हेपेटाइटिस का कारण बनते हैं। वे हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई वायरस हैं। ये एक ही वायरस के स्ट्रेन नहीं बल्कि अलग-अलग वायरस हैं। चाड में प्रकोप हेपेटाइटिस ई का है। हेपेटाइटिस के सभी विभिन्न प्रकार यकृत रोग का कारण बनते हैं लेकिन संचरण के तरीकों, बीमारी की गंभीरता, भौगोलिक वितरण और रोकथाम के तरीकों में भिन्न होते हैं। अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर 35 करोड़ 40 लाख लोग हेपेटाइटिस बी या सी से पीड़ित हैं। वैश्विक स्तर पर, लगभग 93 करोड़ 90 लाख (आठ में से एक) व्यक्तियों ने कभी न कभी हेपेटाइटिस ई संक्रमण का अनुभव किया है। 2020 तक एक करोड़ 50 लाख से 11 करोड़ व्यक्तियों को हाल ही में इसका संक्रमण हुआ या अभी चल रहा है। यह अफ्रीका, एशिया, यूरोप उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में क्रमश: 21.8 प्रतिशत, 15.8 प्रतिशत, 9.3 प्रतिशत, 8.5 प्रतिशत और 7.3 प्रतिशत की व्यापकता दर के साथ व्यापक है। यह बिना लक्षण से लेकर गंभीर लक्षणों वाला होता है, जिससे मृत्यु हो सकती है।
हेपेटाइटिस ई कैसे फैलता है?
हेपेटाइटिस ई वायरस के आठ जीनोटाइप में से चार मनुष्यों को प्रभावित करने के लिए जाने जाते हैं। जीनोटाइप 1 और 2 मल-मुख मार्गों से फैलते हैं, खासकर दूषित पानी पीने से। यही कारण है कि इस प्रकार के हेपेटाइटिस ई एशिया और अफ्रीका के अविकसित देशों में खराब स्वच्छता और सुरक्षित पेयजल की कमी के कारण आम हैं। ये ऐसे प्रकार हैं जो महामारी में बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित कर सकते हैं। जीनोटाइप 3 और 4 दूषित मांस, विशेष रूप से सूअर, बकरियों और मवेशियों के सेवन से और कभी-कभी जानवरों के मल से पानी के दूषित होने से फैलते हैं। तो, ये जानवरों की बीमारियां हैं जो मनुष्यों (ज़ूनोटिक रोग) में फैल सकती हैं और इसलिए किसानों, कसाई और पशु चिकित्सकों जैसे जानवरों से निपटने वाले लोगों को प्रभावित करती हैं। इस बात के प्रमाण हैं कि हेपेटाइटिस ई वायरस रक्त संचरण के माध्यम से फैल सकता है। नीदरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, फ़्रांस और जापान जैसे कुछ विकसित देशों ने ट्रांसफ़्यूज़न से पहले रक्त दान की हेपेटाइटिस ई आरएनए स्क्रीनिंग को शामिल किया है। आरएनए स्क्रीनिंग रक्त या मल में हेपेटाइटिस ई वायरस का पता लगाने का सबसे विश्वसनीय तरीका है।
मनुष्यों के लिए जोखिम क्या हैं?
हेपेटाइटिस ई एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है, जिसके सालाना लगभग दो करोड़ मामले सामने आते हैं, तीस लाख रोगसूचक मामले और 60,000 मौतें होती हैं। हेपेटाइटिस ई बिना किसी लक्षण के तीव्र हेपेटाइटिस, या हल्के लक्षण वाली या कभी-कभी गंभीर लक्षण वाली बीमारी का कारण बन सकता है। गर्भवती महिलाओं को गंभीर बीमारी का अनुभव होने की अधिक संभावना होती है। यह पहले से ही स्थापित यकृत रोगों वाले लोगों, बुजुर्गों और कम प्रतिरक्षा (इम्यूनोकम्प्रोमाइज्ड) वाले लोगों में भी गंभीर हो सकती है। दक्षिण-पश्चिम नाइजीरिया के इबादान में 12 रेस्तरां में 177 बिना लक्षण वाले भोजन संचालकों के सर्वेक्षण में, हमने पाया कि 9 प्रतिशत के रक्त में तीव्र हेपेटाइटिस ई के प्रमाण थे। हेपेटाइटिस ई वायरस वाले बिना लक्षण वाले लोगों में वायरस फैल सकता है यदि उनका रक्त किसी अन्य व्यक्ति को दिया जाता है। गर्भावस्था में इससे गंभीर बीमारी हो सकती है या मां और बच्चे की मृत्यु हो सकती है। गर्भावस्था में मृत्यु दर 30 प्रतिशत तक हो सकती है।
ये हैं हेपेटाइटिस के लक्षण
हेपेटाइटिस के लक्षणों में अस्वस्थता, कमजोरी, आंखों का पीलापन, पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, गहरे रंग का मूत्र और यदि यकृत की विफलता है, तो चेतना के स्तर में परिवर्तन और रक्तस्राव की प्रवृत्ति शामिल है। लक्षणों और संकेतों के आधार पर हेपेटाइटिस ई को वायरल हेपेटाइटिस के अन्य रूपों से अलग नहीं किया जा सकता है। हेपेटाइटिस ई विश्व स्तर पर तीव्र हेपेटाइटिस का सबसे आम कारण है। कुछ परिस्थितियों में, विशेष रूप से अंग प्रत्यारोपण के रोगियों में, हेपेटाइटिस ई क्रोनिक हेपेटाइटिस (तीन महीने से अधिक समय तक चलने वाला) का कारण बन सकता है और इससे लीवर सिरोसिस हो सकता है। यह विकसित देशों में काफी आम है जहां कई अंग प्रत्यारोपण रोगी हैं जो प्रतिरक्षादमनकारी दवाएं ले रहे हैं।
क्या इसे रोका जा सकता है?
हां इसके लिए पर्याप्त व्यक्तिगत स्वच्छता, उचित अपशिष्ट निपटान प्रणाली और सुरक्षित और स्वच्छ पानी की व्यवस्था की आवश्यकता है। हेपेटाइटिस ई से बचाव का दूसरा तरीका है कच्चे या अधपके मांस से परहेज करना। एक अध्ययन से पता चलता है कि भोजन को 20 मिनट तक 71°सी तक गर्म करने से हेपेटाइटिस ई वायरस निष्क्रिय हो सकता है। चीन में हेपेटाइटिस ई के खिलाफ एक टीका भी उपलब्ध है, लेकिन यह अभी तक व्यापक नहीं है।
इसे कैसे नियंत्रित किया जाता है?
लक्षण दिखने पर हेपेटाइटिस ई के उपचार में आराम करना और उन दवाओं और पदार्थों से परहेज करना शामिल है जो लीवर को और अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं। रिबाविरिन और इंटरफेरॉन अल्फा ऐसी दवाएं हैं जिनका उपयोग कभी-कभी किया जाता है, हालांकि गर्भवती महिलाओं के लिए नहीं। यकृत की पुरानी बीमारी या यकृत सिरोसिस वाले लोगों को यकृत प्रत्यारोपण की आवश्यकता हो सकती है।