गुरू तेग बहादुर जी सिक्ख धर्म के नौवें गुरु थे। उनका जन्म बैसाख कृष्ण पंचमी को पंजाब के अमृतसर शहर में हुआ था। इस साल यह शुभ तिथि 1 मई दिन शनिवार को मनाई जाएगी। गुरु जी ने अपना सारा जीवन धर्म की रक्षा को समर्पित किया। उन्होंने न सिर्फ सिक्ख धर्म नहीं बल्कि हिंदुओं की भी रक्षा की। जब औरंगजेब हिंदू लोगों को जबरदस्ती मुस्लिम बनाने की कोशिश कर रहा था। तब एक दिन जब कुछ कश्मीरी पंडित मिलकर गुरू साहिब के पास आए। ऐसे में उनकी परेशानी सुनकर गुरू जी ने खुद चलकर मुगल शासक से बात की। उन्होंने मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा की कोशिशों के बावजूद इस्लाम धर्म अपनाने से इंकार किया और तमाम जुल्मों का पूरे साहस से सामना किया। ऐसे में गुरू जी के इस धैर्य और संयम से तंग आकर औरंगजेब ने चांदनी चौक पर उनका शीश काटने का हुक्म दिया। तब गुरू जी ने हंसते हुए धर्म की रक्षा करने के लिए खुद को न्यौछावर कर दिया है।
तो चलिए उनकी 400 वें जन्म दिवस के शुभ अवसर पर हम आपको उनके प्रेरणादायक विचार बताते हैं। इसे हर किसी को अपने जीवन में जरूर अपनाना चाहिए।
. हार और जीत हमारी सोच पर निर्भर करती है। अगर मान लो तो हार मिलती है। वहीं किसी चीज को करने की ठान लो तो जीत हासिल होती है।
. गलतियां भी मांफ हो सकती है। मगर उसके लिए उसे स्वीकारने का साहस होना चाहिए।
. सही मायने में एक सज्जन इंसान वह है जो गलती से भी किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाता है।
. घृणा विनाश का कारण होती है। इसलिए किसी से दुश्मनी रखने की जगह पर हर एक जीवित प्राणी के प्रति दया की भावना रखनी चाहिए।
. जिंदगी किसी के साहस के अनुपात में विस्तृत होती है।
. डर बस हमारे दिमाग में होता है। ऐसे में हमें अपने दिमाग पर नियंत्रण रखना चाहिए।
. साहस ऐसी जगह पर मौजूद होता है जहां पर उसके होने की संभावना कम होती है।