गुरू पूर्णिमा का त्योहार 5 जुलाई को पूरी दुनिया में मनाया जाएगा। इस शुभ दिन भी गुरू से आशीर्वाद लेकर उन्हें मान-सम्मान दिया जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक यह दिन हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस शुभ दिन में गुरू की पूरी श्रद्धा व सच्चे मन से विधिवत पूजा की जाती है। इसको त्योहार को गुरू पूर्णिमा के साथ व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता हैं। क्योंकि इस दिन चार वेदों के साथ महान महाकाव्यों की रचना करने वाले महर्षि व्यास जी की जयंती होती है।
क्यों मनाया जाता है गुरू पूर्णिमा का त्योहार?
इस दिन अपने गुरूओं की पूजा कर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है। शास्त्रों के अनुसार भी गुरू के बिना किसी को भी ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती है। इस दिन गुरु की पूजा करने की परंपरा महर्षि व्यास द्वारा मानी जाती है। वे महान ग्रंथों के रचियता थे। उन्हीं के जन्म दिन के दिन को गुरू पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। व्यास जी ने चारों वेदों, 18 पुराणों , महाभारत और कई अन्य महान ग्रंथों के रचना की थी। इन्होंने वेदों का विभाजन किया था। इसी लिए ये वेद व्यास के नाम से जाने गए। इसलिए इस खआस दिन पर गुरुओं की पूजा कर उन्हें मान-सम्मान देते हुए उनका आशीर्वाद लिया जाता है। उन्हें अपनी क्षमता के मुताबिक भेंट भी दी जाती है।
शुभ मुहूर्त
कल यानि 5 जुलाई को गुरू पूर्णिमा का पावन दिन मनाया जाएगा। मगर यह शुभ दिन 4 जुलाई सुबह 11 बजकर 33 मिनट से लेकर 5 जुलाई की सुबह 10 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। बता दें, इस दिन पिछले साल की तरह इस दिन चंद्र ग्रहण का प्रभाव भी देखने को मिलेगा। मगर इस ग्रहण का असर भारत पर न होने के कार सूतक काल नहीं होगा।
पूजा विधि
सुबह जल्दी उठे और नहाकर साफ कपड़े पहने। अब घर के मंदिर में भगवान जी और अपने गुरू महाराज जी को प्रणाम कर उनकी मूर्तियों को स्नान करवाएं। उसके बाद उन्हें साफ कपड़े पहनाकर फूल, तिलक, माला और उपहार अर्पित कर विधिपूर्क पूजा करें। अगर आपके घर के पास मंदिर है तो आप वहां भी जाकर पूजा कर सकते है। इसके साथ ही अपने माता-पिता और बड़ों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें।