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भारतीय औरतों के कंसीव न होने की वजह Uterus TB भी, प्रेगनेंसी में हो जाए तो क्या करें?

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 24 Mar, 2021 01:38 PM
भारतीय औरतों के कंसीव न होने की वजह Uterus TB भी, प्रेगनेंसी में हो जाए तो क्या करें?

महिलाओं में जननांग, गर्भाशय या पेल्विक टीबी एक बड़ी बीमारी है, जिसे 'बहरूपिया’ भी कहा जाता है। माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया से होने वाला यह टीबी महिलाओं में बांझपन का कारण बन सकता है। ऐसे में महिलाओं को इसकी पूरी व सही जानकारी होना बहुत जरूरी है।

क्या है गर्भाशय/यूटरस टीबी?

यह एक संक्रमित रोग है जो एक्टिव टीबी मरीज के खांसी व छींक से फैलता है। गर्भाशय टीबी आमतौर पर अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय का मुंह और वैजाइना या लिम्फ नोड्स के आसपास होता है। शोध के मुताबिक, हर साल यूट्रस टीबी के करीब 40.80% मामले सामने आते हैं, जिसमें से 10 महिलाओं में से 2 महिएं कंसीव नहीं कर पाती जबकि 25-30% औरतों को बांझपन का सामना करना पड़ता है।

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प्रेगनेंसी में कैसे डालता है बाधा?

दरअसल, बैक्टीरिया के संपर्क में आने से 5-10% हाइड्रो सल्पिंगिटिस होता है, जिससे फैलोपियन ट्यूब में पानी भर जाता है। वहीं टीबी बैक्टीरियाफैलोपियन ट्यूब को बंद करके पीरियड्स में भी बाधा डालते हैं, जिससे कंसीव करने में दिक्कत आती है। मगर, प्रेगनेंसी में यूट्रस टीबी होने पर टीबी की कुछ दवाओं नहीं दी जाती, जिससे बच्चे के शारीरिक विकास में बाधा आ सकती है।

प्रेगनेंसी में कब होता है टीबी का जोखिम

. अगर घर में किसी को टीबी या फेफड़ों से संबंधित बीमारी हो तो उनके लगातार संपर्क में रहने से गर्भवती महिला को टीबी हो सकता है।
. एचआईवी के कारण टीबी का संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है।
. प्रेगनेंसी में कम वजन, किसी दवा या शराब का सेवन करने वाली महिलाओं को भी इसका खतरा अधिक रहता है।
. कमजोर इम्यूनिटी और लिवर, किडनी या फेफड़ों की किसी बीमारी से ग्रस्त महिलाओं को इसका खतरा अधिक होता है।

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कैसे पहचाने टीबी के लक्षण?

शुरूआती स्टेज में कोई संकेत नहीं मिलता लेकिन 7-8 महीने बाद लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं।

. लगातार 2 हफ्ते से ज्यादा खांसी
. वैजाइना से अनियमित डिस्चार्ज
. निचले पेट में गंभीर दर्द
. अनियमित पीरियड्स या हैवी ब्लीडिंग
. अमेनोरिया व भूख की कमी
. अचानक वजन का कम होना
. बुखार, उबकाई और उल्टी होना
. दिल की धड़कन बढ़ना
. गर्दन की ग्रंथियों में सूजन

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मां और बच्चे पर टीबी का प्रभाव

1. टीबी के इलाज के लिए गर्भवती महिला को एंटीबायोटिक दी जाती है, जिसका कोर्स 6 महीनों तक चलता है। ध्यान रखें कि कोर्स बीच में ना छोड़े क्योंकि इससे दोबारा बीमारी होने की आंशका रहता है।

2. टीबी ग्रस्त महिला से बच्चे को टीबी होने की आशंका कम होती है लेकिन समय पर इलाज ना किया जाए तो उससे बच्चे को भी टीबी हो सकती है।

कैसे करें बचाव?

- सबसे पहले तो संक्रमित व्यक्ति से उचित दूरी बनाकर रखें और मास्क पहनें। एक्टिव मरीज के संपर्क में आने के बाद हाथों व मुंह को अच्छी तरह साफ कर लें।
- पर्सनल हाइजीन व प्राइवेट पार्ट की साफ-सफाई का ध्यान रखें और समय-समय पर चेकअप करवाएं।
- टीबी से पीडि़त महिला ब्रेस्टफीडिंग करवा सकती हैं क्योंकि इससे बच्चे को टीबी नहीं होता। लेकिन इसके साथ ही अपना कोर्स जारी रखें।
- बच्चे के सामने खांसते या छींकते समय मुंह को ढक लें क्योंकि इससे वो टीबी की चपेट में आ सकते हैं। इसके साथ ही बच्चे को गोद में उठाने से पहले मास्क पहनें और हाथों को अच्छी तरह साफ कर लें।
- अपने आहार में मौसमी फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, बीन्स, दूध-दही, साबुत अनाज, मछली आदि शामिल करें। इसके अलावा कोल्ड ड्रिंक्स, जंक व फास्ट फूड्स और मसालेदार भोजन से दूर रहें।
- नियमित रूप से जॉगिंग, सैर, व्यायाम और योग जरूर करें। साथ ही फिजिकल तौर पर एक्टिव रहें।

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