23 DECMONDAY2024 12:01:26 AM
Nari

Chhath Puja 2021: द्रौपदी ने भी रखा था छठी व्रत, जानिए पौराणिक कथा

  • Edited By neetu,
  • Updated: 10 Nov, 2021 06:23 PM
Chhath Puja 2021: द्रौपदी ने भी रखा था छठी व्रत, जानिए पौराणिक कथा

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से छठ महापर्व का आरंभ होता है। इस त्यौहार को पूरे 4 दिनों तक मनाया जाता है। देशभर में उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस पर्व को महाभारत काल से मनाया जा रहा है। इस कथा के छिटपुट वर्णन मिलते हैं जब महाभारत के समय द्रौपदी ने छठ पूजा की थीं।

PunjabKesari

झारखंड के रांची में छठ पूजा का खास महत्व

वैसे तो इस पावन पर्व के कई हिस्सों में धूमधाम से मनाने की परंपरा है। मगर झारखंड के रांची में छठ पूजा करने का विशेष महत्व है। फिर भी बिहार और यूपी के लोग इसे बड़े स्तर पर मनाते हैं। जिस तरह बिहार और यूपी में छठ पर्व अलग तरीके से मनाया जाता है। ठीक उसी तरह रांची के नगड़ी गांव में इस व्रत को अलग तरीके या रिवाज से मनाया जाता है। वैसे तो हर जगह पर व्रती नदी पर सूर्य देव को अर्घ्य देती है। मगर रांची में व्रत रखने वाली महिलाएं कुएं में छठ पर्व की पूजा करती हैं।

PunjabKesari

PunjabKesari

द्रौपदी ने सूर्य देव को जल से अर्घ्य देकर की थी पूजा

पौराणिक कथा अनुसार, रांची के नगड़ी गांव में स्थित एक कुंए के जल से पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भगवान सूर्य देव की उपासना करते हुए उन्हें अर्घ्य दिया था। कहा जाता है कि वनवास के दौरान झारखंड के इस इलाके में पांडव कई दिनों तक रूके थे। एक समय जब पांडवों को प्यास लगी तो दूर-दूर तक कहीं पानी ना मिलने पर और द्रौपदी के कहने पर अर्जुन ने जमीन पर अपना तीर मार कर ही पानी निकाला था। जमीन से पानी निकलने पर जब पांडव पानी पीने आगे बढ़े हो द्रौपदी ने उन्हें रोक लिया। तब द्रौपदी कुएं के पास गई और जल लेकर उन्होंने भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दिया। अर्घ्य देते हुए द्रौपदी ने कहा कि, हमारी इस कठिन परीक्षा को लेने के लिए आपको भी अपना ताप सामान्य से कई गुणा बढ़ाना पड़ा होगा। इसलिए सबसे पहले आप इस जल से शीतल ठंडे हो जाएं। तब ये कहते हुए उन्होंने सूर्य देव को अर्घ्य दिया। उस समय भगवान सूर्य देव द्रौपदी की इस आस्था व दृढ़ निश्चय से प्रसन्न हो गए। ऐसे में उन्होंने अपना तेज कम कर दिया। इसके बाद पांडव और द्रौपदी हर दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने लगे।

PunjabKesari

नगड़ी गांव भीम का ससुराल

धार्मिक मान्यता अनुसार, झारखंड का नगड़ी गांव पांडवों के तीसरे भाई भीम सा ससुराल भी था। कहा जाता है कि भीम की पत्नी हिडिंबा इसी गांव की थी और उनके पुत्र घटोत्कच का जन्म भी इसी स्थान पर हुआ था। अन्य मान्यता अनुसार, धार्मिक ग्रंथ महाभारत में वर्णित एकचक्रा नगरी नाम ही अपभ्रंश होकर नगड़ी बन गया है।

PunjabKesari

दो बड़ी नदियों का भी संगम स्थल

कहते हैं कि स्वर्ण रेखा नदी दक्षिणी छोटानागपुर के इसी पठारी भू-भाग से गुजरती है। कहा जाता है कि इस नदी में से ही सोना निकाला जाता है। इसलिए इसे स्वर्ण रेखा नाम से जाना जाता है। नगड़ी गांव के एक किनारे से दक्षिणी कोयल तो दूसरी ओर से स्वर्ण रेखा नदी का संगम यानि मेल होता है। स्वर्ण रेखा नदी झारखंड के इस गांव से निकलकर ओडिशा और पश्चिम बंगाल होती हुई गंगा में मिले बिना ही सीधी समुद्र में चली जाती है। इस नदी की लंबाई 395 किलोमीटर अधिक मानी जाती है। इसके अलावा कोयल नदी झारखंड की एक अहम व पलामू इलाके की जीवन रेखा मानी जाने वाली नदी कहलाती है। गांव के बुजुर्ग इस दोनों नदियों को आपस में जुड़ा हुआ ही मानते व बताते हैं। इस कुएं के पूर्व की तरफ जो धार फूटती है वह स्वर्णरेखा का रूप लेती है। इसके साथ कुएं से उत्तर की ओर जो धार फूटती है वह कोयल नदी का रूप लेती है।

PunjabKesari

Related News