पूरी दुनिया में कोरोना का खतरा बढ़ता जा रहा है अभी तक इस वायरस ने तकरीबन लाखों लोगों की जान ले ली है लेकिन वहीं ऐसे बहुत से मरीज भी है जो ठीक होकर घर जा रहे है लेकिन कोरोना तब ज्यादा खतरनाक हो जाता है जब मरीज के ठीक होने के बाद भी उसका टेस्ट पॉजिटिव आ जाता है। ऐसा सिर्फ भारत में ही नही बल्कि और भी देशों में देखा जा रहा है जहां मरीज ठीक होने के बाद भी पॉजिटिव आ रहे है। जो कि डॉक्टर्स और वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है इसी स्थिति पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक जानकारी दी है।
WHO ने अपनी रिसर्च फाइडिंग टीम के हवाले से ये बताया कि ये जरूरी नही है कि जो मरीज कोरोना से ठीक हो चुका है उसकी रिपोर्ट हर बार नेगेटिव आए क्योकि फेफड़ों की मृत कोशिकाओं के कारण उस व्यक्ति में दोबारा पॉजिटिव पाए रहने कि संभावना बनी रहती है लेकिन इसका अर्थ ये बिल्कुल नही है कि मरीज री-इंफेक्टेट है बल्कि ये उस मरीज का रिकवरी फेज होता है।
जानकारी देते हुए WHO ने कहा कि दोबारा पॉजिटिव आने की वजह कहीं न कही फेफड़ों की मरी हुई कोशिकाएं हो सकती है। दोबारा रिपोर्ट पॉजिटिव आने से मरीज को डरने की जरूरत नही। यह मरीजों का रिकवरी फेज होता है जिसमें मनुष्य का शरीर खुद ही उसकी सफाई करता है।
इसे दूसरा फेज न माने : WHO
WHO ने कहा कि बहुत से देशों में ऐसे हालात देखे जा रहे है जिसमें संक्रमित व्यक्ति ठीक होने के बाद भी पॉजिटिव आ रहा है और इसको कोरोना का दूसरा फेज कहा जा रहा है जो कि गलत है ये कोरोना का दूसरा फेज नही है। इस संबंध में सबसे पहले दक्षिण कोरिया ने अपने सौ मरीजों की रिपोर्ट पेश की थी जिसमें ये बाताया गया था कि ठीक हो रहे मरीज दोबारा पॉजिटिव पाए जा रहे है जिसके बाद और देशों में भी यही बात सामने आई लेकिन WHO की इस जानकारी के बाद ये बात साफ हो गई है कि इससे कोई खतरे वाली बात नही है।
WHO के महामारी विज्ञानी मारिया वान केहोव ने बताया कि कोरोना मरीजों के फेफड़ें ठीक होने के बाद खुद ब खुद ही रिकवर होने लगते है। ऐसे में मौजूदा डेड सेल्स बाहर की तरफ आने लगते है और ये फेफड़ों के ही अंश होते है जो नाक या मुंह के रास्ते बाहर निकलते है। ये कहना गलत होगा कि ये संक्रमण का नया फेज है। असल में ये वो स्टेज है जहां शरीर खुद को रिकवर करता है।