शिशु के लिए मां का दूध बहुत ही आवश्यक होता है। मां के दूध से शिशु के शरीर को कई सारे पोषक तत्व भी मिलते हैं। नवजात और मां के लिए स्तनपान के महत्व को बताने के लिए हर साल विश्व स्तनपान सप्ताह भी मनाया जाता है। लेकिन शुरुआत में महिलाओं को स्तनपान करवाने के दैौरान कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यदि आप भी शिशु को स्तनपान करवाने वाली हैं, तो यह टिप्स आपके बहुत काम आएंगे। आइए जानते हैं इनके बारे में...
दर्द हो सकता है
डिलीवरी के कम से कम दो से चार दिनों के बाद ब्रेस्ट से दूध निकलना शुरु होता है। इस दौरान महिलाओं को ब्रेस्ट में दर्द भी हो सकता है। निप्पलों को छूने पर भी दर्द होता है। छोटे बच्चे को हर कुछ घंटे में दूध पिलाना होता है, जिसके कारण ब्रेस्ट में दर्द और भी ज्यादा बढ़ जाता है। खासकर जब शिशु निप्पल से दूध खींचता है तो दर्द और भी बढ़ सकता है। आपको यह दर्द शुरुआती दिनों में ही नहीं बल्कि कई हफ्तों तक भी रह सकता है।
शिशु नहीं खींच पाता दूध
कई बार शुरुआती दिनों में भी बच्चा निप्पल से दूध नहीं खींच पाता। ऐसे में मां को ही बच्चे को निप्पल से दूध खींचना सिखाना पड़ता है। शिशु और मां दोनों की ही स्तनपान में एक जैसा साथ देने के लिए समय लगता है। खासकर प्रीमैच्योर बच्चे या फिर डिलवरी के दौरान किसी तरह की मुश्किल के कारण यह समस्या ज्यादा आ सकती है।
नहीं आता ब्रेस्ट में दूध
कई बार ब्रेस्ट से पर्याप्त मात्रा में दूध भी नहीं आ पाता। हार्मोन्ल बदलाव के कारण यह समस्या हो सकती है। इसी समस्या के कारण शिशु को भी पर्याप्त मात्रा में दूध मिलने में समस्या होती है। यदि बच्चे को पर्याप्त मात्रा में दूध न मिल पाए तो उसका वजन भी घठ सकता है, जो कि उसके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है।
ब्रेस्ट रह सकती है सख्त
जब भी ब्रेस्ट में दूध आता है तो वह थोड़ी सख्त और टाइट भी महसूस हो सकती है। यदि आपका बच्चा ठीक से दूध पी रहा है तो उसे कोई भी समस्या नहीं होगी। परंतु कुछ महिलाओं की ब्रेस्ट पत्थर की तरह सख्त हो जाती है। जिसके कारण उन्हें ब्रेस्ट में भी दर्द हो सकता है।
दूध लीक होना
शिशु को स्तनपान करवाने के दौरान ब्रेस्टमिल्क लीक होना भी एक बहुत बड़ी समस्या होती है। खासकर शुरुआती दिनों में यह समस्या हो सकती है। शिशु को एक ब्रेस्ट से दूध पिलाते समय दूसरी ब्रेस्ट से दूध निकल सकता है और कई बार सोते समय भी ब्रेस्ट से दूध निकलता है। परंतु आपकी यह समस्या छ: महीनों में ठीक भी हो सकती है।