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कोरोना का बदलता रुप, क्या काम आएंगे वायरस के बने टीके-दवाइयां?

  • Edited By Janvi Bithal,
  • Updated: 22 Aug, 2020 02:26 PM
कोरोना का बदलता रुप, क्या काम आएंगे वायरस के बने टीके-दवाइयां?

भारत में रोजाना कोरोना के हजारों केस आ रहे हैं वहीं हाल ही में इसकी वैक्सीन की खबरें आने से लोगों को राहत मिली थी लेकिन इसी बीच कोरोना वायरस दिन प्रतिदिन अपना रूप बदलता जा रहा है ऐसे में मन में सवाल यह आता है कि कहीं इस वायरस के लिए बन रही कोरोना की वैक्सीन का असर कम न हो जाए। 

कोरोना बदल रहा रूप 

चीन से शुरू हुए इस वायरस के रूप बदलते जा रहे हैं ऐसे इसलिए क्योंकि दूसरे वायरसों की तरह ही सार्स-कोव-2 के पास भी अलग-अलग वर्जन में बदलने की पूरी क्षमता है। वायरस अपने रूप को म्यूटेशन के कारण कर पाते हैं वहीं चिंता की बात यह है कि मलेशिया में इस वायरस के म्यूटेशन से एक खास तरह का स्ट्रेन पैदा हुआ है वहीं इस बीच सवाल यही उठ रहा है कि आखिर कोरोना के ये नए स्ट्रेन कैसे पैदा हो रहे हैं। अब सवाल यहां ये भी उठता है कि इस वायरस के लिए जो दवा या टीके बनाए जा रहे हैं क्या उनका असर होगा या नहीं?  

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मलेशिया में जो स्ट्रेन पाया गया है वह यूरोप में पाया गया था। यह स्ट्रेन कभी डी और कभी जी नाम के अमिनो एसिड्स के बीच अदला-बदली कर रहा है। बात अगर चीन के वुहान शहर की करें तो वहां शुरुआती दिनों में इस वायरस के डी वरायटी के नमूने इकट्ठे किए गए थे। रिपोर्टों की मानें तो मार्च महीने तक 90% से ज्यादा मरीज इस वरायटी के वायरस से संक्रमित थे लेकिन उसके बाद जी वरायटी के वायरस का दबदबा बढ़ने लगा। 

अब तक छह स्ट्रेन पकड़ में आ चुके 

वहीं हाल ही में एक रिसर्च पेपर में यह बात भी सामने आई है कि इस वायरस के अब तक कम-से-कम छह स्ट्रेन पकड़ में आ चुके हैं। दो स्ट्रेनों को अलग-अलग रूप का तब माना जाता है जब यह इंसानों के पाचन तंत्र को अलग-अलग रूप से प्रभावित करता है या फिर ऐसा भी होता है कि उनके संक्रमण के फैलाने का तरीका अलग होता है। 

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क्या है कोरोना म्यूटेशन? 

दरअसल कोरोना म्यूटेशन का अर्थ है कि यह वायरस अपनी ही कॉपी पैदा करता है लेकिन इस में एक बात यह है कि जो नई कॉपी पैदा हुई है वह ऑरिजनल वायरस जैसी हो इसकी कोई  गारंटी नहीं होती है कईं बार कॉपी ज्यादा प्रभावी नहीं होती हैं और कईं बार इस वायरस से पैदा हुई कॉपी बहुत प्रभावी होती है। अब सवाल यह उठता है कि कहीं इस म्यूटेशन के कारण कोरोना की वैक्सीन का असर कम न हो जाए। 

क्या कम हो जाएगा कोरोना वैक्सीन का असर?

कोरोना की वैक्सीन तैयार करने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए बनी संस्था गावी या द वैक्सीन अलायंस के अनुसार, 'वैक्सीन विकसित करने में जुटे वैज्ञानिकों के लिए यह अच्छी खबर है कि वायरस की संरचना को बदलने की क्षमता वाले म्युटेशन उसके प्रभाव को भी घटा रहे हैं।' इसका अर्थ है कि जो इससे संक्रमित होकर  बच गया या जिसे टीका लगाया जाएगा, वह इस वायरस से हमेशा के लिए सुरक्षित हो जाएगा। इतना ही नहीं यह भी कहा जा रहा है कि क्योंकि इस वायरस का एक ही वर्जन 97% संक्रमण फैला रहा है तो इसलिए इस पर असर करने वाला एक टीका पूरी दुनिया को राहत दिलाने के लिए काफी होगा।

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भारत में कौन सा स्ट्रेन फैला है ? 

बात अगर भारत की करें तो यहां भी कोरोना ने अपना रूप बदला है और यहां पहले एल स्ट्रेन का वायरस था जो असल में वुहान का स्ट्रेन था और फिर बाद में एस स्ट्रेन पाया गया और फिर जी स्ट्रेन और अब पूरे देश में यही स्ट्रेन फैला हुआ है। आपको बता दें कि पुणे स्थित नैशनल सेंटर फॉर सेल साइंसेज के अध्ययन में पाया गया कि देश के अलग-अलग हिस्सों में जिला दर जिला आधार पर कोरोना वायरस के अलग-अलग वर्जन हो सकते हैं। अध्ययन में कहा गया है कि वायरस का म्यूटेशन होना और उसका वहीं तक सीमित रह जाना कोई हैरत की बात नहीं।

 

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