चाणक्य की नीतियों अपनाने से मनुष्य को जीवन की हर समस्या का समाधान मिलता है। नीति शास्त्र में चाणक्य ने जीवन को बेहतर ढंग से जीने के कई तरीके बताएं। इन नीतियों को अपनाकर इंसान की जिंदगी में खुशहाली और शांति का अनुभव होता है। इसके अलावा नीति शास्त्र में चाणक्य ने कुछ ऐसे घरों के बारे में भी बताया है जहां पर माहौल कभी खुश नहीं होता। इस तरह के घरों को चाणक्य ने श्मशान की तरह बताया है और वहां रहने वाले लोगों को मुर्दे के समान बताया है। तो चलिए आपको बताते हैं कि ऐसे घर कौन से होते हैं।
ब्राह्मण के पैर धोने से कीचड़
चाणक्य का मानना है कि ऐसे घर जहां पर ब्राह्मणों के पैर धोने से कीचड़ नहीं हुआ होता वो श्मशान के समान होते हैं।
शुभ कार्य न किए जाएं
ऐसे घर जहां पर वेद आदि शास्त्रों का पाठ नहीं हुआ होता या कोई शुभ कर्म नहीं होता वैसे घर भी श्मशान की तरह होते हैं।
स्वाहा और स्वधा शब्दों का उच्चारण
जिन घरों में स्वाहा और स्वधा जैसे शब्दों का उच्चारण नहीं होता वह भी श्मशान की तरह होते हैं। ऐसे घरों में खुशहाली नहीं आती। आचार्य चाणक्य का मानना है कि इस तरह के सारे घरों को मुर्दों का निवास स्थान ही माना जाता है जहां पर जीवनी शक्ति नहीं होती।
ऐसे घरों में पॉजिटिविटी
. जिन घरों में शास्त्रों के मंत्र गूंजते हैं, रोज पूजा-अर्चना की जाती है वहां पर हमेशा पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है।
. इस तरह के घर में रहने वाले लोग भी हमेशा खुश रहते हैं और हर कार्य में सफल होते हैं।
. चाणक्य का मानना है कि दान-धर्म के कारण से जिन घरों में हमेशा पॉजिटिव माहौल रहता हो वहां पर रहने वाले लोगों को भी हमेशा तरक्की होती है।