नारी डेस्क: रतन टाटा जैसे प्रेरणादायक व्यक्ति के जन्मदिन पर, 500 करोड़ रुपये के स्टार्टअप "जेनरिक आधार" के संस्थापक और सीईओ अर्जुन देशपांडे ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि देते हुए कैंसर मरीजों को मुफ्त दवा वितरित की। आइए जानते हैं इस अनोखे पहल के बारे में विस्तार से।
रतन टाटा की प्रेरणा से शुरू हुआ खास अभियान
रतन टाटा के 87वें जन्मदिन पर अर्जुन देशपांडे ने अपने "मेंटॉर" को याद करते हुए कैंसर मरीजों के लिए मुफ्त दवा बांटी। उन्होंने कहा, "रतन सर हमेशा कहते थे कि कैंसर की दवा केवल अमीरों के लिए नहीं होनी चाहिए। हर इंसान को इसे वहन करने की क्षमता होनी चाहिए।" देशपांडे ने इस मौके पर 87 मरीजों को मुफ्त कैंसर दवाएं दीं और वादा किया कि अगले एक साल तक सभी कैंसर मरीजों को दवाएं 'कास्ट-टू-कास्ट' पर उपलब्ध कराई जाएंगी।
जेनरिक आधार: 16 साल की उम्र में शुरू हुआ सपना
2018 में केवल 16 साल की उम्र में अर्जुन देशपांडे ने "जेनरिक आधार" की शुरुआत की। इस स्टार्टअप का उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाली जेनरिक दवाएं सीधे ग्राहकों तक पहुंचाना है, जिससे दवाओं की कीमतों में 80-90% तक कमी की जा सके। जेनरिक आधार के पीछे का मुख्य विचार मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन जैसे बिचौलियों को खत्म करना था। इससे न केवल मरीजों को किफायती दवाएं मिलीं, बल्कि देश भर में दवा उद्योग में करीब 10,000 नौकरियां भी पैदा हुईं।
2,000 स्टोर्स और 500 करोड़ का वैल्यूएशन
कुछ ही वर्षों में, जेनरिक आधार ने 2,000 से अधिक स्टोर्स खोल लिए और पूरे भारत में अपनी पहचान बनाई। 2023 में कंपनी का कुल मूल्यांकन 500 करोड़ रुपये के करीब था। अर्जुन देशपांडे का कहना है कि उनकी योजना केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित रहने की नहीं है, बल्कि ग्रामीण और टियर-3 शहरों तक अपनी सेवाएं पहुंचाने की है।
रतन टाटा का सहयोग और मार्गदर्शन
अर्जुन देशपांडे की पहली टेड टॉक वायरल होने के बाद, रतन टाटा ने उनकी अनोखी सोच को सराहा और इस स्टार्टअप में निवेश करने की इच्छा जाहिर की। देशपांडे ने बताया, "रतन टाटा सर का सपना था कि कैंसर की दवाएं हर भारतीय की पहुंच में हों। इस सोच को साकार करना ही मेरा लक्ष्य है।"
कैंसर के इलाज को सस्ता बनाने की दिशा में कदम
एक वीडियो में देशपांडे ने कैंसर मरीजों के साथ बातचीत की और देश में कैंसर दवाओं की कीमतों को कम करने के अपने प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी का लक्ष्य हर जरूरतमंद तक किफायती और प्रभावी दवाएं पहुंचाना है।
सोशल मीडिया पर मिला लोगों का प्यार
देशपांडे के इस प्रयास को सोशल मीडिया पर जमकर सराहा गया। कई लोगों ने इसे "असली भारत का रत्न" और "प्रेरणादायक काम" बताया। उनके इस काम ने कैंसर मरीजों के साथ-साथ समाज के अन्य वर्गों को भी प्रेरित किया।
एक प्रेरणादायक पहल का भविष्य
अर्जुन देशपांडे का कहना है कि वह रतन टाटा के आदर्शों पर चलते हुए समाज के लिए और भी योगदान देना चाहते हैं। उनकी इस पहल ने यह साबित कर दिया कि सच्ची श्रद्धांजलि केवल शब्दों से नहीं, बल्कि कार्यों से दी जाती है।
रतन टाटा जैसे महान व्यक्ति की याद में अर्जुन देशपांडे का यह कदम न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि समाज के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान भी है। यह पहल हर उस व्यक्ति के लिए एक उदाहरण है जो समाज के लिए कुछ बेहतर करना चाहता है।