ज्येष्ठ माह में आने वाली दोनों एकादशी का विशेष महत्व है। कृष्ण पक्ष की अपरा एकादशी पर भद्रकाली जयंती मनाई जाती है, वहीं निर्जला एकादशी को सभी एकादशियों में श्रेष्ठ माना गया है। ज्येष्ठ की अपरा एकादशी को भद्रकाली एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन माता काली के रूप भद्रकाली की पूजा होती है, दक्षिण भारत में इस दिन का खास महत्व है। मान्यता है कि मां भद्रकाली की पूजा करने से कमाम रोग, दोष , शोक खत्म हो जाते हैं। आइए जानते हैं मां भद्रकाली जयंती की डेट, पूजा मुहूर्त और इस दिन का महत्व...
आज मनाई जा रही है भद्रकाली जयंती
इस साल भद्रकाली जयंती 15 मई 2023 को है। इसी दिन अपरा एकादशी और वृषभ संक्रांति भी मनाई जाएगी। वैसे तो एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है लेकिन ज्येष्ठ की अपरा एकादशी के दिन मां भद्रकाली का भी व्रत रखा जाता है।
भद्रकाली जयंती का मुहूर्त
पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की अपरा एकादशी 15 मई 2023 को सुबह 02.46 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 16 मई 2023 को प्रात: 01.03 मिनट पर इसका समापन होगा।
भद्रकाली जयंती का पूजा मुहूर्त
मां काली की पूजा के लिए इस दिन कुल अवधि 2 घंटे की है। जो 15 मई, दिन सोमवार को सुबह 8 बजकर 36 मिनट से शुरू होगी और 10 बजकर 36 मिनट पर समाप्त होगी।
भद्रकाली जयंती महत्व
माता कालिका के अनेक रूप है महाकाली, शमशान काली, मातृकाली श्यामा काली, गुह्य काली, अष्टकाली और भद्रकाली। सभी रूपों की अलग-अलग पूजा और उपासना पद्धतियां हैं। इसमें मां भद्रकाली को शांति की देवी माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार देवी भद्रकाली की उत्पत्ति भगवान शिव के बालों से हुई है. भद्रकाली का शाब्दिक अर्थ है अच्छी काली इस रूप में मां काली शांत हैं और वर देती हैं। भद्रकाली जयंती पर इनकी पूजा दुखों का नाश होता है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है।
देवी भद्रकाली की पूजा विधि
भद्रकाली जयंती पर व्रत रखें, काली मंदिर में माता को चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी, फूल चढ़ाएं। धूप, दीप लगाकर मां भद्रकाली के इस मंत्र का 108 बार जाप करें - भद्रं मंगलं सुखं वा कलयति स्वीकरोति भक्तेभ्योदातुम् इति भद्रकाली सुखप्रदा। काली चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं। अंत में किसी कन्या को भोजन कराएं और फिर शाम को स्वंय व्रत पारण कर भोजन ग्रहण करें।
मां भद्रकाली पूजा मंत्र
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी,
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।