हिंदू धर्म में प्राचीन समय से हर देवी देवता अपने माथे पर तिलक लगाते आ रहे है। उन्ही में से एक हमारे भोले बाबा भी अपने माथे में त्रिपुंड तिलक धारण करते है। बता दें कि भोलेनाथ की पूजा करते समय कई साधु-संतों और गृहस्थों को भी त्रिपुंड तिलक लगाते हुए देखा गया है। लेकिन इसका हिंदू धर्म में क्या महत्व है इस बारे में लोगों को ज्यादा नहीं पता। बता दें कि त्रिपुंड तिलक का सीधा संबंध देवों के देव महादेव से है। तो चलिए जानते है आज इसके रहस्य व महत्व के बारे में।
त्रिपुंड में देवताओं का वास
हमार एक्सपर्ट ज्योतिषाचार्य डॉ राधाकांत वत्स के मुताबिक महादेव के त्रिपुंड तिलक में 27 देवताओं का वास है। इतना ही नहीं त्रिपुंड तिलक में 3 रेखाएं मौजूद है। जिसमें से हर एक रेखा में 9 देवता स्थापित हैं। इस प्रकार 3 रेखाओं में 27 देवताओं का वास है। शिव के त्रिपुंड में स्थित ये 27 देवता व्यक्ति के भीतर 27 गुणों का संचार करते हैं। ये वही 27 गुण होते हैं जो विवाह के समय लड़का और लकड़ी के मिलाए जाते हैं।
वैवाहिक जीवन के गुणों का निर्माण
शादी करने से पहले कन्या व कुमार की कुंडली के माध्यम से पंडित जी उनके गुणों को मिलाते है। कहते है कि अगर कन्या व कुमार के 36 गुण मिलते हो तो उनके जीवन लड़ाई झगड़े कम होते है। लेकिन वाल्मीकि रामायण (रामायण के दिलचस्प तथ्य) और ज्योतिष शास्त्र के आधार पर, ये माना जाता है कि इस पूरे पृथ्वी लोक पर मात्र प्रभु श्री राम और माता सीता ही ऐसे थे जिनके 36 के 36 गुण मिले थे। इसके पश्चात या इससे पूर्व ऐसा कभी नहीं हुआ है कि विवाह के समय किसी भी कन्या और कुमार के 36 गुण मिले हों।
27 गुण मिलना माना जाता है सर्वश्रेष्ठ
ज्योतिष शास्त्रों का कहना है कि आम व्यक्तियों के लिए अर्थात हम मनुष्यों के लिए गुणों के पैमाने तय किये गए हैं जिसके अनुसार, 36 में से 18 गुण मिलने को ठीक-ठाक, 21 गुण मिलने को मध्यम और 27 गुण मिलने को सर्वोत्तम माना गया है। इन्हीं 27 गुणों का संचार महादेव के त्रिपुंड में स्थित देवता व्यक्ति के अंदर करते हैं।
त्रिपुंड तिलक के लाभ
1 महादेव को त्रिपुंड तिलक लगाने के बाद जो भक्त इसे बाद में आपने माथे पर लगाता है उसके वैवाहिक जीवन में चल रही परेशानियां खत्म हो जाती है।
2 अगर किसी ग्रह दोष के कारण विवाह में अड़चन आ रही है तो त्रिपुंड तिलक के प्रभाव से ग्रह दोष खत्म हो जाता है। वहीं इस तिलक को प्रसाद में लगाने से भूत पाधा, प्रेत बाधा या किसीभी प्रकार की नकारात्मक शक्ति आपको छू भी नहीं पाती।
3 इस तिलक को लगाने से भोले बाबा की कृपा आप पर हमेशा रहती है। त्रिपुंड तिलक से व्यक्ति के अवगुणों में भी कमी आती है और उसका व्यक्तित्व सकारात्मक तौर पर और भी अच्छे से निखर पाता है।
त्रिपुंड तिलक लगाने का तरीका
त्रिपुंड तिलक सबसे पहले भोले बाबा को लगाना चाहिए।
खुद त्रिपुंड तिलक लगाने वाले है तो पहले स्नान व स्वच्छ वस्त्र पहने और आपका मुख उत्तर दिशा की ओर हो।
त्रिपुंड तिलक शैव परंपरा से जुड़ा होने के कारण इसे लगाते समय अनामिका उंगली, मध्यमा उंगली और अंगूठे का प्रयोग करें।
दो उंगली और एक अंगूठे के जरिए माथे पर बाईं आंख की तरफ से दाईं आंख की तरफ आड़ी रेखा खींचें।
वहीं त्रिपुंड का आकार इन दोनों आंखों के बीच में ही सीमित रहना चाहिए।