श्री सत्य साईं बाबा 24 अप्रैल, 2011 के दिन महासमाधि पर चले गए थे। कई चमत्कार करने वाले श्री सत्य साईं बाबा का पूरा जीवन रहस्यों से घिरा रहा। उनके चमत्कार देख लोग इन्हें अपना गुरु मानने लगे। देश ही नहीं बल्कि विदेशी लोग भी सत्य साईं बाबा में बहुत आस्था रखते हैं। बता दें कि आज विश्व के 148 देशों में सत्य साईं केंद्र स्थापित हैं।
बाबा को 28 मार्च को सांस में तकलीफ के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पहले उनके फेंफड़ों में तकलीफ रही और दिन ब दिन उनकी हालत बिगड़ती गई। उनके सभी आंतरिक अंगों ने काम करना बंद कर दिया। आखिरकार उन्होंने 24 अप्रैल, 2011 के दिन आखिरी सांस ली।
सत्य साईं बाबा को पूरे राजकीय सम्मान के साथ पुट्टपर्ति में उनके प्रशांति निलयम आश्रम में समाधि दे दी गई थी। बाबा को दफनाने का फैसला उनकी इस इच्छा अनुसार किया गया कि उन्हें भी शिर्डी के साईं बाबा की तरह ही दफनाया जाए। भक्तों को यह भी उम्मीद है कि बाबा के आश्रम के सबसे मुख्य स्थान पर उनकी कब्र उसी तरह श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बन जाएगी जैसी कि शिर्डी के साईं बाबा की बनी हुई है।
हालांकि इनके अनुयायी इन्हें शिरडी के साईं बाबा का अवतार मानते हैं। यही नहीं, देह त्यागने से पहले उन्होंने इस बात की भी भविष्यवाणी भी कर दी थी कि वो 2024 में प्रेमा साईं के रूप में दोबारा जन्म लेंगे। उन्होंने अपने प्रवचनों के माध्यम से कहा था कि ‘मैं देह स्वरूप नहीं हूं, मैं आत्मा स्वरूप हूं, मुझे देह मानने की भूल न करो।’