नारी डेस्क: सावन के तीसरे सोमवार का व्रत आज, 5 अगस्त को मनाया जा रहा है। सावन के सोमवार विशेष रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं, क्योंकि इस दिन शिव जी की पूजा से विशेष लाभ होता है। शिव जी सृष्टि के तीनों गुणों को नियंत्रित करते हैं और वे त्रिनेत्रधारी भी हैं। उनकी पूजा तीन मुख्य स्वरूपों में की जाती है, और सावन के तीसरे सोमवार को इन स्वरूपों की उपासना विशेष महत्व रखती है। इस दिन इन स्वरूपों की पूजा करके आपकी मनोकामनाओं की पूर्ति हो सकती है। प्रदोष काल में पूजा करना सबसे शुभ होता है।
शुभ मुहूर्त
सावन के तीसरे सोमवार पर आज तीन महत्वपूर्ण मुहूर्त मिल रहे हैं
1. ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:20 से 5:03 बजे तक।
2. अश्लेषा नक्षत्र: दोपहर 1:26 से 3:21 बजे तक।
3. अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 से 12:54 बजे तक।
शिव के स्वरूप और उनकी उपासना
नीलकंठ स्वरूप
समुद्र मंथन के दौरान हलाहल विष पीकर शिव जी ने उसे अपने कंठ में रोक लिया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया। इस स्वरूप की उपासना से शत्रु बाधा और तंत्र-मंत्र का असर कम होता है। इस दिन शिव लिंग पर गन्ने का रस अर्पित करें और "ऊं नमो नीलकंठाय" मंत्र का जाप करें।
नटराज स्वरूप
शिव ने नृत्य, संगीत और कला का आविष्कार किया। नटराज स्वरूप की पूजा से जीवन में सुख, शांति और आनंद मिलता है। कला, संगीत और अभिनय में सफलता के लिए इस स्वरूप की पूजा करें। घर में सफेद रंग के नटराज की स्थापना कर सफेद फूल अर्पित करें।
महामृत्युंजय स्वरूप
यह स्वरूप अमृत का कलश लेकर भक्तों की रक्षा करता है और मृत्यु के डर को दूर करता है। इस स्वरूप की पूजा से आयु रक्षा, स्वास्थ्य लाभ और मनोकामना पूर्ति होती है। शिव लिंग पर बेल पत्र और जल अर्पित करें, फिर अर्ध परिक्रमा करें और मनोकामना की प्रार्थना करें। महामृत्युंजय मंत्र है: "ऊं हौं जूं सः"।
इन विशेष पूजा विधियों और मुहूर्तों का ध्यान रखते हुए सावन के तीसरे सोमवार को शिव जी की उपासना करें और अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें।