आज के समय में जब भी समानता की बात की जाती है तो पुरूषों और महिलाओं को बराबर का दर्जा दिया जाता है। इस बात में कोई शक नहीं है कि आज महिलाएं हर एक क्षेत्र में आगे हैं और अपने देश का नाम रोशन कर रही हैं। आज का दिन महिलाओं के लिए बहुत खास है क्योंकि आज यानि 26 अगस्त को महिला समानता दिवस मनाया जाता है।
महिला समनाता दिवस का इतिहास
आपको बता दें कि न्यूजीलैंड दुनिया का पहला ऐसा देश है, जिसने 1893 में 'महिला समानता' की शुरुवात की थी। अमेरीका में '26 अगस्त', 1920 को 19वें संविधान संशोधन के माध्यम से पहली बार महिलाओं को मतदान यानि वोट देने का अधिकार प्राप्त हुआ लेकिन इससे पहले वहां महिलाओं को दूसरे स्तर की नागरिक समझा जाता था। महिलाओं को समानता का दर्जा दिलाने के लिए एक महिला का ही हाथ है जिसने औरतों की समानता के लिए लगातार संघर्ष किया और इस महिला का नाम है वकील बेल्ला अब्ज़ुग जिनके प्रयास से 26 अगस्त को 'महिला समानता दिवस' के रूप में मनाया जाने लगा। तो चलिए आज इस खास मौके पर हम आपको बेल्ला अब्ज़ुग के संघर्ष के बारे में बताते हैं।
पूरी दुनिया की महिलाओं के लिए लड़ी लड़ाई
महिला वकील बेल्ला अब्ज़ुग ने महिलाओं को समान दर्जा दिलाने के लिए लगातार प्रयास किए और इन प्रयासों के आगे सभी को झुकना पड़ा। उन्होंने न सिर्फ अपने देश के लिए बल्कि पूरी दुनिया की महिलाओं के लिए आवाज उठाई। ब्रॉन्क्स में जन्मी बेल्ला ने लगातार न्याय और शांति, समानता का अधिकार्य, ह्यूमन डिग्निटी, इनवायरमेंटल इंटिग्रिटी और सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए संघर्ष किया। उनके कड़े प्रयासों की वजह से ही आज के दिन हर साल महिला समानता दिवस मनाया जाता है।
भारत में महिलाओं की स्थिती
बात अगर भारत की करें तो आजादी के बाद महिलाओं की स्थिती में काफी सुधार आया है वह अपनी इच्छा से वोट दे सकती हैं और अपनी इच्छा से कोई भी काम कर सकती हैं लेकिन आज भी कईं ऐसे स्थान हैं जहां महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम समझा जाता है महिलाएं जहां आज चांद पर कदम रख रही हैं वहीं कुछ लोगों की आज भी यही सोच है कि एक महिला को घर की चार दिवारी में रहकर काम करना चाहिए लेकिन समाज को अपनी इस सोच को आज भी बदलने की जरूरत है क्योंकि एक बात हमेशा याद रखिए...,' अगर महिलाओं को मिलेगा दर्जा समान..तभी तो बढ़ेगा हमारे देश का मान।'