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सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए हुईं मनोनीत, सादगी और समर्पण की मिसाल है यह Powerful Business woman

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 08 Mar, 2024 03:07 PM
सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए हुईं मनोनीत,  सादगी और समर्पण की मिसाल है यह Powerful Business woman

देश की पहली महिला इंजीनियर होने से लेकर इंफोसिस जैसी कंपनी की स्थापना करने तक  सुधा मूर्ति अब राज्यसभा में भी जा रही हैं।  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्य सभा के लिए समाजसेवी और लेखिका सुधा मूर्ति मनोनीत किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विविध क्षेत्रों में उनके योगदान की सराहना करते हुए उनका स्वागत किया है। 

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 मोदी ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में सुधा मूर्ति की तारीफ में कहा-  उच्च सदन में उनकी मनोनयन ‘नारी शक्ति' का एक सशक्त प्रमाण है, जो राष्ट्र की नियति को आकार देने में महिलाओं की ताकत और क्षमता का उदाहरण भी है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि भारत की राष्ट्रपति ने सुधा मूर्ति जी को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। सामाजिक कार्य, परोपकार और शिक्षा सहित विविध क्षेत्रों में सुधा जी का योगदान असीम और प्रेरणादायक रहा है।'' 

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इंफोसिस के सह-संस्थापक एन. आर. नारायणमूर्ति की पत्नी ‘मूर्ति ट्रस्ट' की अध्यक्ष भी हैं और उन्होंने कई किताबें लिखी हैं। संसद के उच्च सदन के लिए उनका मनोनयन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन हुआ है। उन्होंने बदलाव लाने की इच्छा और शिक्षा ने बड़ी भूमिका निभाई है। वह इन्फोसिस की अध्यक्षा के साथ लेखिका और समाजसेविका भी हैं।  साल 2006 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए काफी यत्न करने पड़े थे। 

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"सादा जीवन उच्च विचार" के सिद्धांत को अपनी रियल लाइफ में अपनाने वाली सुधा मूर्ति आईटी इंडस्ट्रियलिस्ट और इंफोसिस के फाउंडर एन आर नारायणमूर्ति की पत्नी होने के साथ -साथ एक इंस्पायरिंग वुमन भी हैं। उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई से  नारायण मूर्ति के बिजनेस आइडिया में इन्वेस्ट करने का फैसला उस समय लिया जब भारत में आईटी सेक्टर शुरुआती स्टेज में था। उन्हीं के कारण इंफोसिस कंपनी की शुरुआत हुई थी।

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सुधा मूर्ति के दो बच्चे हैं, बेटी अक्षता मूर्ति और बेटा रोहन मूर्ति। अक्षता नारायण  यूके के प्रधानमंत्री की पत्नी होने के साथ- साथ फैशन डिजाइनर भी हैं। वहीं रोहन मूर्ति, मूर्ति क्लासिकल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया के साथ ही एक डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन स्टार्ट अप सोरोको के संस्थापक हैं। उनका मानना है कि  कोई भी सामाजिक बदलाव मानसिकता में बदलाव से आता है। मानसिक बदलाव के लिए जागरुकता लानी पड़ती है। जागरूकता के लिए शिक्षा चाहिए। 


 

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