28 OCTMONDAY2024 10:48:31 PM
Nari

मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सर्वोतम तरीका, Diwali की रात जरूर करें ये पाठ

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 28 Oct, 2024 08:59 PM
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सर्वोतम तरीका, Diwali की रात जरूर करें ये पाठ

नारी डेस्कः दीवाली के त्योहार पर हर घर में भगवान गणेश और माता लक्ष्मी जी की पूजा होती है। हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को धन, समृद्धि, आनंद और वैभव की देवी माना जाता हैं इसलिए मां लक्ष्मी को इस दिन प्रसन्न जरूर करें। दीवाली की रात को शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी की पूजा जरूर करें और इस दिन श्री सूक्त पाठ करने से महालक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का यह सर्वोत्म तरीकों में से एक तरीका है। 

श्री यंत्र के सामने किया जाता है श्री सूक्त का पाठ | Shri Suktam Paath Se Maa laxmi ko karein prasann

श्री सूक्त का पाठ करने के लिए, पूजा स्थल पर मां लक्ष्मी की एक तस्वीर लगाएं या श्री यंत्र के सामने श्री सूक्त का पाठ किया जाता है। इस मंत्र में श्री सूक्त के पंद्रह छंदों में अक्षर, शब्दांश और शब्दों के उच्चारण से अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी के ध्वनि शरीर का निर्माण किया जाता है।  श्री सूक्त, ऋग्वेद के पांचवें मंडल के अंत में आता है। इसमें 15 ऋचाएं हैं और माहात्म्य सहित 16 ऋचाएं मानी जाती हैं।  सोलहवें मंत्र में फलश्रुति है। बाद में ग्यारह मंत्र परिशिष्ट के रूप में उपलब्ध होते हैं। इसे 'लक्ष्मी सूक्तम्' भी कहा जाता है।

यह भी पढ़ेंः Dhanteras 2024: इस दिन खरीदेंगे ये चीजें तो घर आएगी कंगाली !

श्री सूक्त का पाठ से जुड़ी कुछ खास बातें

श्री सूक्त का पाठ पूर्व दिशा के तरफ़ मुख करके ही करें।
श्री सूक्त का पाठ करने से पहले गौरी गणेश का पूजन करें।
श्री सूक्त का पाठ करने से घर में समृद्धि, स्वास्थ्य, धन, आनंद की प्राप्ति होती है।
मां लक्ष्मी की कृपा से दरिद्रता, गरीबी, कर्ज से छुटकारा मिल जाता है।
श्री सूक्त का पाठ करने से समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ती है।
पाठ के बाद मां लक्ष्मी के सामने शुद्ध घी का एक दीपक जलाएं।

श्री सूक्त की कुछ पंक्तियांः हरिः ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्, चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह, तां म आवह जातवे।

PunjabKesari

यह भी पढ़ेंः Dhanteras: ये 2 चीजें खरीदी तो चमक जाएगी किस्मत, दूर होगी गरीबी और दुर्भाग्य

इस दिवाली आप भी श्री सूक्त का पाठ कर सकते है। यहां पर आप  श्री सूक्त का सम्पूर्ण पाठ पढे़ं।

ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।
तां म आ वह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम् ।
विज्ञापन

अश्वपूर्वां रथमध्यां, हस्तिनादप्रमोदिनीम् ।
श्रियं देवीमुप ह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम् ।।
कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।
पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।

चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् ।
तां पद्मिनीमीं शरणं प्र पद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ।।
आदित्यवर्णे तपसोऽधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽक्ष बिल्वः ।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मीः ।।

उपैतु मां दैवसखः, कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्, कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ।।
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।
अभूतिमसमृद्धिं च, सर्वां निर्णुद मे गृहात् ।।

गन्धद्वारां दुराधर्षां, नित्यपुष्टां करीषिणीम् ।
ईश्वरीं सर्वभूतानां, तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।
मनसः काममाकूतिं, वाचः सत्यमशीमहि ।
पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः ।।

कर्दमेन प्रजा भूता मयि सम्भव कर्दम ।
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ।।
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे ।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ।।

आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पद्ममालिनीम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।
आर्द्रां य करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ।।

 तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरुषानहम् ।।
य: शुचि: प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम् ।
सूक्तं पंचदशर्चं च श्रीकाम: सततं जपेत् ।।
।। इति समाप्ति ।।

Related News