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मां करती थी फैक्ट्री में काम और बेटी पहुंच गई Cannes

  • Edited By PRARTHNA SHARMA,
  • Updated: 07 Mar, 2025 05:05 PM
मां करती थी फैक्ट्री में काम और बेटी पहुंच गई Cannes

नारी डेस्क: नैंसी त्यागी आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। कान्स फिल्म फेस्टिवल में अपने अद्भुत सिले कपड़ों के साथ देश का नाम रोशन करने के बाद वह हर किसी की जुबान पर हैं। सोशल मीडिया पर फैशन इंफ्लुएंसर और उभरती हुई फैशन डिजाइनर के तौर पर नैंसी का हुनर सभी को बेहद पसंद आ रहा है। उनके फैंस हर जगह हैं और उनकी कला की तारीफ कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले की इस लड़की की कड़ी मेहनत और संघर्ष को अब हर कोई जानता है।

जिंदगी में एक वक्त था जब नैंसी मरने का सोचने लगी थीं

हालांकि, नैंसी का सफर इतना आसान नहीं था। एक समय ऐसा भी था जब वह अपनी गरीबी और संघर्ष से इतना परेशान हो गई थीं कि उन्हें मरने का ख्याल आने लगा था। अपने हालात को लेकर नैंसी का कहना है, "एक ओर भाई स्कूल जाता था, और फीस भरने के पैसे नहीं थे। मां को फैक्ट्री में काम करता हुआ देख मैं बहुत परेशान होती थी।" वह आगे कहती हैं, "महीने में 6-7 हजार रुपये में क्या होता है? मेरी हालत ऐसी हो गई थी कि मैं जहर खाने के बारे में सोचने लगी थी।"

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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मां को काम करते नहीं देखना चाहती थीं नैंसी

नैंसी अपनी मां के काम करने के तरीके से बहुत दुखी थीं। उनकी मां जिस फैक्ट्री में काम करती थीं, वहां हमेशा खतरा बना रहता था। अक्सर वह सुनती थीं कि किसी का हाथ मनीश में आ गया। नैंसी और उनका भाई मां का घर आने का इंतजार करते थे, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि कभी ऐसा हादसा हो। इसी वजह से नैंसी ने ठान लिया कि वह अपनी मां को इस काम से बाहर निकालेंगी। हालांकि, शुरुआत में यह राह आसान नहीं थी, लेकिन नैंसी ने अपनी मेहनत से इसे संभव किया।

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सोशल मीडिया पर वीडियो बनाना था आखिरी विकल्प

नैंसी ने 12वीं के बाद दिल्ली में UPSC की कोचिंग शुरू की थी। लेकिन लॉकडाउन के दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो बनाना शुरू किया। नैंसी के लिए यह एक आखिरी विकल्प था। इस दौरान उनके भाई मन्नू ने उनका पूरा साथ दिया। पैसों की तंगी के बावजूद, मन्नू ने अपनी एक साल की पढ़ाई छोड़ दी ताकि नैंसी को वीडियो बनाने के लिए जरूरी सामान मिल सके। शुरुआत में नैंसी को ट्रोल्स का सामना भी करना पड़ा, और रिश्तेदारों से ताने भी सुनने पड़े। लेकिन जैसे ही उन्होंने सिलाई मशीन उठाई और खुद के बनाए हुए कपड़े पहनने शुरू किए, लोगों को उनका काम पसंद आने लगा।

नैंसी का कहना था कि उनका कभी भी पैसा कमाने का उद्देश्य नहीं था। उनका असली लक्ष्य बस यह था कि वह अपनी मां को काम पर जाने से रोक सकें। लॉकडाउन के दौरान, उनकी मां को रात-रात भर काम करना पड़ता था, जिससे वह थक जाती थीं। इस स्थिति को देखकर नैंसी की आत्मा टूट गई थी। वह कहती हैं, "मुझे ज्यादा पैसा नहीं चाहिए था, बस इतना कि मेरी मम्मी को काम पर ना जाना पड़े। पैसे का क्या है!"

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सड़क से कान्स फिल्म फेस्टिवल तक का सफ़र

नैंसी के लिए कान्स फिल्म फेस्टिवल में अपना ध्यान आकर्षित करना एक बड़ा लक्ष्य था। इसके लिए उन्होंने एक पिंक कलर का बड़ा गाउन डिजाइन किया। उनका उद्देश्य था कि चाहे गाउन अच्छा बने या बुरा, लोगों का ध्यान केवल इसी पर जाए कि यह लड़की कौन है। उनकी यह योजना सफल रही और लोगों को उनका आउटफिट बहुत पसंद आया।

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आज नैंसी बड़े से बड़े डिज़ाइनर या ब्रांड के साथ काम कर रही है और अपनी मां और भाई को अच्छी ज़िन्दगी दे रही है। नैंसी ने यह साबित कर दिया कि मन में कुछ करने की चाह हो तो किसी भी मुकाम तक पहुँचा जा सकता है। नैंसी आज देश की हर लड़की के लिए एक इंस्पिरेशन है कि अपने सपनों को पूरे करने के लिए बस मन में चाह होनी चाहिए।

 

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