कोरोना के कहर के बीच अभी भी बर्ड फ्लू का खतरा टला नहीं है। अभी तक खबरें आ रही थीं कि यह वायरस इंसानों में नहीं फैलता हालांकि हाल ही में इसका एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने सब को हैरान कर दिया है और सब की चिंता बढ़ा दी है।
रूस से सामने आया पहला मामला
दरअसल रूस में बर्ड फ्लू वायरस (H5N8) मुर्गियों में इंसान में फैलने का पहला मामला सामने आया है। खबरों की मानें तो यह दुनिया का पहला मामला है।
पॉल्ट्री प्लांट के 7 कर्मचारी बर्ड फ्लू की चपेट में
मीडिया रिपोर्टस की मानें तो पॉल्ट्री प्लांट में काम कर रहे 7 कर्मचारी इसकी चपेट में आए हैं। हालांकि अभी तो उनकी हालत में काफी सुधार बताया जा रहा है। हालांकि खबरें ये भी हैं कि इन कर्मचारियों से दूसरों में संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है। संक्रमित मरीज आइसोलेशन में हैं और उनके संपर्क में आने वाले लोगों की जांच की जा रही है।
विश्व में पहला मामला
इस पर वैज्ञानिक अन्ना पपोवा की मानें तो यह विश्व में पहला मामला है जहां वायरस ने इंसानों के शरीर में प्रवेश किया है। मनुष्य में यह मामला सामना सच में खतरे की घंटी है।
पक्षियों के लिए खतरनाक है बर्ड फ्लू
बर्ड फ्लू का खतरा पक्षियों को सबसे अधिक है। इस बात का अंदाजा हम बीते दिनों में आए मामलों को देखकर लगा सकते हैं। वैज्ञानिकों की इस पर मानें तो यह वायरस पक्षियों के लिए तो काफी खरतनाक है लेकिन यह देखना होगा कि मनुष्य पर इसका क्या असर पड़ता है। हालांकि स्थिती तब तनावपूर्ण होगी जब यह मनुष्य से मनुष्य में प्रवेश करेगा। बता दें कि हाल के दिनों में भारत के भी कई राज्यों में बर्ड फ्लू के मामलों की पुष्टि हुई थी। कई जगहों पर तो हालात इतने थराब हो गए थे कि कौए और अन्य पक्षी मरे हुए भी पाए गए थे।
क्या हैं इसके लक्षण?
डॉक्टर्स और माहिरों की मानें तो बर्ड फ्लू के लक्षण इस प्रकार होते हैं।
1. खांसी होना
2. सीने में दर्द
3. ठंड लगना
4. तेज बुखार होना
5. जोड़ों में दर्द की समस्या
6. मांसपेशियों में दर्द होना
7. नाक से खून बहना
8. नाक बहना
9. थकान होना
10. सिरदर्द होना
11. डायरिया होना
12. बेचैनी जैसी समस्या
13. उल्टी होना
कैसे फैलता है इसका संक्रमण?
प्राकृतिक रूप से देखा जाए तो यह फ्लू पक्षियों में होता है लेकिन ये पालतू मुर्गियों में आसानी से फैल जाता है। ये संक्रमित पक्षी के मल, नाक के स्राव, मुंह के लार या आंखों से निकलने वाली पानी के संपर्क में आने से होता है। हालांकि संक्रमण होने पर यह वायरस शरीर में लम्बे समय तक रहता है।