पीएम नरेंद्र मोदी जिन्हें आज पूरे विश्व में प्रसिद्धि मिली हैं लेकिन जिस ओहदे पर आज मोदी जी हैं वहां पुहंचने के लिए उन्होंने कड़ा संघर्ष किया है। पूरा बचपन उन्होंने गरीबी में बिताया। उनके पिता जी जो स्टेशन पर चाय बेचते थे और मां कभी लोगों के बर्तन साफ करती थी ऐसे गरीबी वाले वक्त में हमारे देश के प्रधानमंत्री ने कैसे गुजारा किया इस बारे में हर कोई जानना चाहता है क्योंकि उनके मां-बाप ने भी कभी नहीं सोचा था कि एक दिन उनका बेटा प्रधानमंत्री बन देश की भागदौड़ संभालेगा तो चलिए आज उनके जन्मदिवस के मौके पर हम देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लाइफ स्टोरी के बारे में बताते हैं।
नरेन्द्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को वड़नगर में दामोदार दास मूलचंद मोदी और हीराबेन के घर हुआ। कहा जाता है कि बचपन में उन्हें नरिया कहकर बुलाया जाता था। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते नरेन्द्र मोदी के माता-पिता दोनों को काम करना पड़ता था। वह स्कूल से लौटने के बाद रोजाना रेलवे स्टेशन पर अपने पिता के पास पहुंच जाते और उनके साथ चाय बेचते।
अपनी मां के बेहद करीब हैं पीएम मोदी
मोदी जी बचपन में अपनी मां के साथ भोजन बनाने में सहयोग करते थे। कुछ भी हो जाए अपने बिजी शेड्यूल से वक्त निकालकर अक्सर वह अपनी मां के साथ समय बिताते हैं।
एक बार अपनी मां को लेकर मोदी जी ने कहा था, मुझे पालने के लिए मां दूसरों के घरों के बर्तन धोती। कभी मजदूरी करती। ये नरेंद्र मोदी के साथ ही नहीं है। भारत में ऐसी लाखों माताएं हैं, जिन्होंने अपने बच्चों के सपनों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। मैं उन सभी मांओं को शत-शत नमन करता हूं।"
पढ़ाई में मोदीजी का इतना मन नहीं लगता था। उन्हें एक्टिंग काफी पसंद थी और वह अक्सर नाटक में बढ़-चढ़कर भाग लेते। खबरों की माने तो नरेन्द्र मोदी बचपन में ही साधु-संतों से प्रभावित हो गए थे। खबरों की माने तो सन्यासी बनने के लिए एक बार मोदी घर से भाग गए थे। इस दौरान मोदी पश्चिम बंगाल के रामकृष्ण आश्रम सहित कई जगहों पर भी घूमे।
3 साल ही चली मोदी जी की शादी
17 साल की उम्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शादी 15 साल की यशोदाबेन से हुई। उनका वैवाहिक जीवन केवल 3 साल तक चला फिर दोनों अलग हो गए। यशोदाबेन सरकारी स्कूल में पढ़ाकर अपनी ज़िन्दगी गुजारने लगी और मोदी ने अपना जीवन देश सेवा में समर्पित कर दिया। आज उनकी पत्नी अकेले ही जिंदगी बिता रही है।
17 साल की उम्र में ही नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जॉइन कर लिया और यहीं से शुरू हुआ उनका राजनीतिक करियर। कई सालों तक मोदी जी ने आरएसएस के प्रचारक के तौर पर काम किया। नरेंद्र मोदी के लिए साल 2001 उनके करियर का टर्निंग पॉइंट रहा। इसी साल उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री की कमान सौंपी गई। लगभग 13 सालों तक उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर काम किया। यही नहीं उन्होंने गुजरात को एक आदर्श राज्य के रूप में स्थापित किया लेकिन उनके लिए यह सब आसान नहीं था।
नाकामयाब मुख्यमंत्री के लगे थे इल्जाम
दरअसल, नरेंद्र मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री बने कुछ महीने ही हुए थे कि गोधरा कांड हो गया। इस हादसे में कई लोग मारे गए थे। इसके बाद ही गुजरात में दंगे भड़क गए। इन सब का दोषी मोदी जी को ठहराया गया। कहा गया था कि मोदी ये सब रोकने में नाकामयाब रहे। यही नहीं मोदी जी को उनके पद से इस्तीफा देने को भी कहा गया लेकिन उन्होंने इस मुश्किल भरी घड़ी को पार कर लिया।
आरएसएस में रहते हुए नरेंद्र मोदी की छवी ऐसी बन गई थी कि हर काम के उन्हें सौंपा जाता था। संघ में होने वाले कार्यक्रमों को वह मैनेज करते जिससे कि हर कोई प्रभावित होता। उनकी इसी लगन को देखते हुए साल 2013 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी के प्रचार अभियान का प्रमुख बनाया गया, साथ ही उन्हें प्रधानमंत्री पद का बीजेपी उम्मीदवार भी घोषित कर दिया गया। साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी भारी बहुमत से जीती और केंद्र में बीजेपी सरकार आ गई। उस वक्त जनता का कहना था कि उन्होंने नरेंद्र मोदी के चलते बीजेपी को वोट दिया।
दो बार ली प्रधानमंत्री पद की शपथ
साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने देश के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। मोदी ने 30 मई को 2019 को दोबारा प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। पीएम बनने के बाद उन्होंने देश में कई बदलाव किए। उन्होंने कई योजनाओं को शुरू करवाया। पीएम मोदी की यह स्टोरी हर किसी को प्ररेणा देती है।