कहते हैं मुश्किलें चाहे जितनी भी आई लेकिन कड़ी मेहनत की जाए तो सफलता जरूर मिलती है। ऐसी ही एक कहानी है दिल्ली में रहने वाली मोनिका की जो एक हाउसवाइफ हैं लेकिन हाउसवाइफ होते हुए भी उन्होंने अपने अंदर के टैलेंट को बाहर निकाला और लेखिका के रुप में नई पहचान बनाने के साथ-साथ अब वह एक सफल एंटरप्रेन्योर भी बन गई हैं क्योंकि उनके इसी हुनर ने उन्हें काम भी दिलवाया। उनके करियर को उभारने में पाॅकेट एफएम ने उनका साथ दिया। मोबाइल फोन में चलने वाली पाॅकेट FM पर मोनिका ने अपनी कहानी लिखना शुरू किया जिसे लोगों ने पसंद किया। नारी पंजाब केसरी के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में उन्होंने अपनी हाउसवाइफ से लेखिका बनने की जर्नी को साझा की।
हाउस वाइफ से राइटर बनने का सफर
बात करते हुए मोनिका ने बताया, 'मेरे अंदर एक छुपा हुआ टेलेंट था की मैं अगर कोई स्टोरीज पढ़ रही हूं या टीवी पर कुछ देख रही हूं तो मुझे पता चल जाता था के आगे क्या होने वाला है। मैं हमेशा लिखने के बारे में सोचती थी लेकिन लिखना कहां ये नही पता था। एक दिन मेरे पति ने आईफोन ले लिया और अपना फोन मुझे दे दिया जिसमें पॉकेट एफएम था। मुझे लगता था के पॉकेट एफएम पर भी सलेक्टिड राइटर ही लिखते होंगे या उनमें कोई काॅम्पिटिशन होता होगा।'
वह बताती हैं, 'एक दिन मैंने सर्च किया तो पता चला पॉकेट नोवेल पर लिखने का ऑप्शन आता है। मैंने पॉकेट एफएम डाउनलोड किया और लिखना शुरू किया। जब मैंने अपनी स्टोरी का पहला चैप्टर पूरा किया तो बहुत नर्वस थी। फिर धीरे-धीरे उसमें लिखना शुरू किया और मेरी कहानी यूजर्स को पसंद आने लगी। स्टोरी पर एक हजार व्यूज आए जो मुझे लगता था बहुत कम है लेकिन ये नहीं पता था के एक हजार व्यूज आने भी एक बड़ी अचीवमेंट है। इस तरह मेरे अंदर लिखने का आत्मविश्वास आया और मैंने कई नॉवेल लिखीं।'
राइटिंग की इंस्पिरेशन कहां से मिली?
मोनिका कहती हैं कि उन्होंने किसी राइटर से इंस्पिरेशन नहीं ली बल्कि वह खुद से ही इंस्पायर हैं। वह कहती हैं- 'मैं खुद से ही इंस्पायर हूं। मुझे लगा कि मैं लिख सकती हूं। मेरे पति ने कहा कि अगर तुम्हारे दिमाग में कोई स्टोरी है तो उसे लिखना चाहिए। मेरे पति और फैमिली ने मेरा सपोर्ट किया।'
शुरू में कितनी मुश्किलें आई, कैसे प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ को बेलेंस किया
अपनी शुरूआती मुश्किलों के बारे में बताते हुए मोनिका ने कहा- 'मेरे पति काफी सपोर्टिव हैं। दो छोटे-छोटे बच्चें हैं। जब वो स्कूल चले जाते हैं तब मेरे पास 4 से 5 घंटे होते हैं जिसमें मैं अपनी राइटिंग करती हूं। मैं फैमिली के साथ-साथ प्रोफेशनल लाइफ को बैलेंस करके चलती हूं। हालांकि कई दिक्कतें आई लेकिन हिम्मत नहीं हारी।'
Pocket FM किस तरह से स्पॉट करता है
इसके जवाब में मोनिका कहती हैं, 'मुझे इस प्लेटफाॅर्म के बारे में नहीं पता था? मैं नहीं जानती थी कि जब 3000 शब्द हो जाते हैं तो उसे कान्टेंट के लिए भेजते हैं। मेरी कहानी टाॅप पर है या यूजर्स मेरी कहानी को पसंद कर रहे हैं ये भी Pocket FM की टीम ने ही मुझे बताया। इस तरह उन्होंने मुझे काफी गाइड भी किया और सपोर्ट भी।'
भविष्य में क्या अचीव करने का गोल रखती हैं?
मोनिका कहती हैं कि भविष्य में वह अपनी कहानियों के साथ और आगे जाना चाहती हैं। वह कहती हैं, 'मैंने अपने पेरेंट्स को अपनी कहानी के बारे में बताया तो वो बहुत खुश हुए। मेरे पापा ने कहा कि जब तुम्हारी कहानी टीवी पर आएगी तब मैं और भी ज्यादा खुशी होगी। हर राइटर की तरह मैं भी चाहती हूं कि अपनी कहानियों से मैं और आगे जाऊं।'