अफगानिस्तान में तालिबान हकुमत होने के बाद वहां की जनता देश छोड़ कर भागती नजर आ रही है। तालिबानी नेताओं द्वारा नए नए नियम बनाए जा रहे हैं। इसी को लेकर बीते दिन हजारों की संख्या में अफगानी लोग एयरपोर्ट पर नजर आए ताकि वह जान बचाकर किसी अन्य देश में शरण ले सके। अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति बेहद दयनीय हैं। उन्हें पढ़ने से लेकर नौकरी करने के अधिकार छीन लिए गए हैं। इसी को देखते हुए मलाला यूसुफजेई ने दुनियाभर के नेताओं से अफगान नागरिकों को शरण देने की अपील की है।
बीबीसी ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर मलाला का एक वीडियो शेयर किया है जिसमें वह कह रही हैं, 'लोग बस भाग रहे हैं। वे खुद को सुरक्षित रखने का तरीका ढूंढ रहे हैं। इस समय यह वास्तव में एक तत्काल मानवीय संकट है। हम एक ऐसे दुनिया में रह रहे हैं, जहां हम प्रगाति की बात कर रहे है, लैंगिक समानता की बात कर रहे हैं, इसलिए यह नहीं देखा जा सकता कि कोई देश दशकों-सदियों पीछे पिछड़ जाए इसलिए महिला सुरक्षा को लेकर कड़े और साहसी कदम उठाने बहुत जरूरी है।'
अफगान शरणार्थियों को मिलनी चाहिए शरण, देश खोले अपनी सीमाएं
इसी के साथ मलाला ने अफगान रिफ्यूजियों को शरण देने के लिए विभिन्न देशों को अपने बार्डर की सेवाएं खोलने का आगाह किया ताकि बेसहारा लोगों को सहारा मिल सकें। नोबल शांति पुरस्कार की विजेता मलाला ने पाक प्रधानमंत्री इमरान खान को भी एक पत्र लिखा और वहां शरणार्थियों को अपने देश में पनाह देने का आगाह किया है। साथ ही में शरणार्थी बच्चों और लड़कियों को शिक्षा व सुरक्षा की ओर भी ध्यान दिया जाए ताकि उनका भविष्य खराब ना हो।
मलाला ने आगे कहा कि वह अभी तक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से संपर्क नहीं कर पाई है लेकिन जो कोई भी उनकी आवाज सुन रहा है वह जान लें कि इस समय रणनीतिक नेतृत्व भूमिका निभाई जानी बहुत जरूरी है। मानवाधिकारों की रक्षा के लिए एक साहसिक कदम उठाना बहुत जरूरी है। अफगान में शांति और स्थिरता लाने के लिए यह सब होना बहुत जरूरी है। सिर्फ अफगानिस्तान में शांति बनाए रखने के लिए नहीं बल्कि विश्व स्तर में शांति बनाए रखने के लिए भी यह महत्वपूर्ण है। मुझे लगता है कि अब हर देश की इसे लेकर एक अहम भूमिका और जिम्मेदारी बनती है।
बता दें कि साल 2012 में मलाला को तालिबानी लड़ाकू द्वारा सिर में गोली मारी गई थी।