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Kumbh Sankranti: सूर्य देव की पानी है कृपा तो इस तरह से करें पूजा, जानिए स्नान-दान का समय

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 09 Feb, 2023 06:21 PM
Kumbh Sankranti: सूर्य देव की पानी है कृपा तो इस तरह से करें पूजा, जानिए स्नान-दान का समय

हिंदू धर्म में कुंभ संक्रांति का खास महत्व है। मकर संक्रांति की तरह ही इस दिन भी स्नान-ध्यान और दान-पुण्य किया जाता है। संक्रांति पर गंगा स्नान का भी विशेष महत्व होते है। इस दिन गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और भक्त को उनकी कृपा मिलती है। इस साल कुंभ संक्राति 13 फरवरी 2023 को मनाई जाएगी। फाल्गुन माह में कुंभ संक्रांति के दिन भी सूर्य का राशि परिवर्तन होता है। इस दौरान सूर्य मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे कुंभ संक्रांति कहा जाता है। कुंभ संक्रांति को दौरान गायों को दान देना शुभ माना जाता है। साथ ही गंगा में स्नान करना भी बहुत शुभ होता है। कुंभ संक्रांति के दिन विधि-विधान से सूर्य देव की पूजा और व्रत किया जाता है। पूर्णिम, अमावस्या और एकादशी का जितना महत्व है उतना ही महत्व संक्रांति तिथि का भी होता है।

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कंभु संक्रांति 2023 का पुण्य काल

कुंभ संक्रांति 13 फरवरी 2023 को मनाई जाएगी। कुंभ संक्रांति पर पुण्य काल मुहूर्त सुबह 7 बजकर 2 मिनट से प्रारंभ होगा और यह सुबह 9 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। पुण्य काल मुहूर्त की कुल अवधि करीब 2 घंटे 55 मिनट की होगी।

कुंभ संक्रांति 2023 स्नान-दान

कुंभ संक्रांति के दिन स्नान और दान सूर्योदय के साथ ही प्रारंभ हो जाएगा।  यदि आप पुण्यकाल में स्नान और दान करते हैं तो ज्यादा अच्छा है। इस दिन आप स्नान करने के बाद गेहूं, गुड़, लाल पुष्प, तांबा, लाल वस्त्र, घी, फल, सब्जी आदि का दान कर सकते हैं।

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कुंभ संक्रांति के दिन का महत्व

मकर संक्रांति की तरह ही कुंभ संक्रांति के दिन भी दान करने की परंपरा है और ऐसा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। संक्रांति के दिन स्नान से जातक को ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है। देवी पुराण में कहा गया है की संक्रांति के दिन जो स्नान नहीं करता उसे कई जन्मों तक दरिद्रता घेरकर रखती है।

कंभु संक्रांति 2023 की पूजा विधि

कुंभ संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करने की परंपरा है। अगर ऐसा ना हो सके तो घर में ही सुबह-सवेरे स्नान कर लें।
स्नान के बाद पानी में गंगा जल और तिल मिलाकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।
इसके बाद मंदिर में दीप जलाएं।
भगवान सूर्य के 108 नामों का जाप करें और सूर्य चालीस पढ़ें।
पूजा करने के बाद किसी गरीब को या पंडित को दान की सामग्री दें।
दान में खाने-पीने की चीजें दे सकते हैं और अपनी क्षमता के अनुसार वस्त्र का भी दान कर सकते हैं।

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