त्योहारों का सीजन चल रहा है। आज पश्चिमी देशों का डरावना उत्सव ‘हैलोवीन डे’ है। इस दिन लोग भूतिया तरीके से तैयार होकर सड़कों पर रैलियां निकालते हैं। पहले इसे पश्चिम देशों में मनाया जाता है। मगर अब भारत व अन्य देशों में भी इसे मनाया जाने लगा है। लोग बड़ी धूमधाम से इस पर्व को एक-साथ मिलकर मनाते हैं। हालांकि इस पर्व से कई तरह की मान्यताएं भी जुड़ी है। चलिए आज हम आपको इस अलग से त्योहार को मनाने से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताते है...
रहस्यमयी हेलोवीन का इतिहास
हैलो सेंट्स में प्रयोग होने वाला एक बेहद पुराना शब्द है। इस दिन यहां के लोग नया साल मनाते थे। मगर फिर चौथी सेंचुरी के दौरान शहीदियों की याद में यह पर्व मई-जून की शुरुआत में मनाया जाने लगा। उसके बाद आठवीं सदी में पॉप क्रगौरी द थर्ड द्वारा इसे 1 नवंबर को मनाया जाने लगा। फिर आगे चलकर लोगों ने इस पर्व को सेलिब्रेट करना बंद कर दिया। मगर स्कॉटलैंड और आयरलैंड में लोग इसे काफी धूमधाम से मनाते थे। माना जाता है किजब स्प्रिुचअल दुनिया और हमारी दुनिया के बीच की दीवार काफी कमजोर पड़ जाती है तब भटकी हुई आत्माएं धरती पर आकर घूमती है।
अतृप्त आत्माएं और न्यू ईयर की शुरुआत का दिन
गैलिक परंपरा को मानने वाले लोग इस दिन नए साल की शुरुआत के तौर पर मनाते हैं। मगर इससे एक दिन पहली रात यानि 31 अक्तूबर को हैलोवीन डे मनाया जाता है। इस दिन लोग डरावने तरीके से तैयार होते हैं। वे अपने कपड़े, मेकअप सब भूतिया तरीके से पहनते हैं। इसके साथ ही घरों की डैकोरेशन भी डरावरनी की जाती है। लोगों का मानना है कि इस दिन स्प्रिुचअल दुनिया और हमारी दुनिया के बीच की दीवार काफी कमजोर पड़ने से भटकी हुई आत्माएं धरती पर आकर इंसानों को नुकसान पहुंचाती है। इससे बचने के लिए लोग घरों को बार डरावनी आकृति में कद्दू को काटकर उसमें मोमबत्ती जलाकर रख देते थे। ऐसे में अब लोग हर हैलोवीन पर इस परंपरा को निभाते हैं। माना जाता है कि इससे बुरी आत्माएं घर के अंदर प्रवेश नहीं करती है। मान्यता है कि इस डरावनी डैकोरेशन को खराब नहीं करना चाहिए। नहीं तो कुछ गलत हो सकता है।
पूर्वजों से भी हेलोवीन का नाता
एक ओर लोगों का मानना है कि हैलोवीन पर बुरी आत्माएं धरती पर आती है। वहीं दूसरी ओर उनका मानना है कि इस दिन उनके पूर्वज भी धरती पर आते हैं। यह दिन फसल काटने का आखिर मौसम माना जाता है। माना जाता है कि पूर्वजों की आत्मा धरती पर आकर फसल काटने में मदद करती है। साथ दुनिया में मौजूद अपने वंशों को प्यार से व खुश रहने के आशीर्वाद देते हैं।
त्योहार के बाद कद्दू के साथ अनोखी परंपरा
इस दिन कद्दू को अंदर से खोखला करके उसकी डरावनी आकृति बनाकर अंदर मोमबत्ती जलाकर रखी जाती है। ताकि अंधेरे में ये भूत की तरह डरावने लगे। इसके अलावा कई देशों में इसे घर के बाहर पेड़ पर भी लटकाया जाता है। पर्व के खत्म होने के बाद इन कद्दूओं को मिट्टी में दफनाने की परंपरा है। इसके अलावा हैलोवीन में कद्दू से बनी मिठाई व अलग-अलग पकवान खाने की भी परंपरा है।
हैलोवीन पर लालटेन जलाने की परंपरा
इस त्योहार पर पश्चिमी देशों के लोग लालटेन भी जलाते हैं। इसके पीछे एक रोचक कहानी है। कहा जाता है कि एक समय में कंजूस जैक और शैतान आयरिश नामक 2 दोस्त थे। कंजूस जैक एक शराबी था और उनसे एक बार अपने दोस्त को घर पर बुलाया। मगर उसने आयरिश को शराब देने से इंकार कर दिया। फिर वह उसे एक कद्दू देने लगा। मगर बाद में उसने उसे कद्दू देने से भी इंकार कर दिया था। जब गुस्से में आकर आयरिश ने कद्दू की डरावनी आकृति बनाकर उसमें एक जलती हुई मोमबत्ती रखकर उसे बाहर पेड़ पर लटका दिया। उस कद्दू को देखकर जैक को डर लगता था। उस दिन से अन्य लोगों के लिए एक सबक की तरह वह दिन जैक-ओ-लालटेन का चलन शुरु कर दिया गया। ऐसे में लोगों का मानना है कि इस तरह कद्दू रखने से बुरी आत्माओं से उनकी और उनके घर की रक्षा होती है। इसके साथ ही उनके पूर्वजों को सही रास्ता दिखाने में मदद मिलती है।
हेलोवीन के दिन बच्चे भी निभाते खास परंपरा
इस दिन लोग खासतौर पर डरावनी वेशभूषा पहनकर पार्टी करते हैं। परिवार व दोस्तों के साथ अलग-अलग गेम्स खेलते हैं। इसके साथ ही लोग एप्पल बोबिंग नाम की एक गेम खासतौर पर खेलते हैं। इसमें पानी के टब में सेब रख दिए जाते हैं। फिर जो सबसे पहले इन सेब को बाहर फेंकता है व जीत जाता है। इसके साथ ही बच्चे कद्दू की आकृति के बैग्स लेकर रिश्तेदारों व दोस्तों के घर जाते हैं। लोग बच्चों के साथ ट्रिक्स ऐंड ट्रीट्स गेम खेलते हैं। इसमें वे एक साथ मिलकर घर की खुशहाली व समृद्धि की प्रार्थना करते हैं। घर के लोग बच्चों को कैंडीज और केक खिलाते हैं। माना जाता है कि इससे घर और उसमें रहने वाले लोगों पर बुरी आत्मा का खतरा टल जाता है।