इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि बुरा समय हमारे लिए एक शिक्षक की तरह होता है और थोड़ी-सी हिम्मत रख कर हरेक मुश्किल का हल निकाला जा सकता है। जो बीत गया, उसे भूल कर आगे बढ़ा जाना ही नियति है तो क्यों न मन मे एक सकारात्मकता धारण करते हुए आने वाले नए साल का स्वागत करें और एक नए नजरिए के साथ जिंदगी को संवारने में जुट जाएं।
रिश्तों को करीब लाएं
इंसान के जीवन में रिश्तों की संरचना बहुत ही मुश्किल होती है। रिश्ते बिगड़ते हैं तो हम संवारते भी हैं। रिश्तों में विश्वास बनाए रखने के लिए दिल का सच्चा होना बहुत जरुरी है। हमारे मुश्किल समय में सबसे पहले हमारे रिश्ते ही हमें सहारा देते हैं। किसी के कठोर व्यवहार से अगर आपकी भावनाएं आहत हो जाएं तो कटुता को भुला कर माफी देने में उदारता दिखाएं। इससे दोनों के मन को शांति और तसल्ली मिलती है। इस नए साल में अपने साथ जुड़े रिश्तों का विश्लेषण करें और एक नए नजरिए के साथ उऩ्हें प्यार, समर्पण और ईमानदारी से पोषित करने की तरफ बढ़े।
लक्ष्य पहचानें
हरेक इंसान पहले कदम में ही ऊंची छलांग लगाकर अपने लक्ष्य को हासिल करना चाहता है। इसके लिए आवश्यक है कि अपनी क्षमताओं को पूरी ईमानदारी से आंकना और अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए छोटे-छोटे पड़ावों को पार करना। आगे बढ़ने की संभावनाओं को तलाशें लेकिन शार्टकट से बचें। बेहतर होगा कि आप एक बड़े लक्ष्य को हासिल करने की जगह छोटे-छोटे लक्ष्यों को समयानुसकार पूरा करें।
परिवार को करें अनुशासित
हर परिवार में बदलते समय के साथ नई व पुरानी पीढ़ी के विचारों में मतभेद की वजह से खींचतान चलती रही है। ऐसे में दोनों को ही सब भूलकर एक दूसरे के प्रति नजरिए में बदलाव लाने के लिए प्रयास करना चाहिए। परिवार में चाहे कितना भी प्यार क्यों न हो लेकिन कुछ स्पष्ट नियम जरुर बनाएं ताकि परिवार में आपसी प्यार बना रहे। आपसी रिश्तों में पारदर्शिता, जरुरतमंदों की मदद, बिजली, पानी की बचत, पर्यावरण को बढ़ावा, फिजूलखर्च से दूरी और झूठ- चुगली न करना आदि जैसी छोटी-छोटी बातों को अपने पारिवारिक सविधान में शामिल अवश्य करें।
स्वास्थ्य के प्रति रहे जागरुक
हमारे बुजुर्ग कहते हैं कि तन चंगा तो सब चंगा यानी शरीर स्वस्थ होगा तो आप कुछ भी कर सकते हैं। जब भी हम किसी शारीरिक समस्या से गुजरते हैं तो शरीर हमें संकेत देता है पर फिर भी हम शरीर रुपी गाड़ी को जबरदस्ती बिना रिपेयर के घसीटते रहते है। जब हमें बड़ी मजबूरी में उसकी रिपेयर करानी पड़ती है तब तक उसे ठीक करने वाले पुर्जे पूरी तरह से जवाब दे चुके होते हैं। इसलिए बहुत आवश्यक है कि आने वाले साल में एक नियम बना लें कि स्वास्थ्य के प्रति जागरुक रहना ही है।
खुशिया तलाशें
चाहे हमारी जिंदगी में कितनी भी परेशानियां क्यों हों, कुछेक बातों में खुशियां भी छिपी होती हैं। ऐसी छोटी-छोटी बातों को तलाशें व उनमें खुशियां ढूंढें। अपनी जिदंगी को शुक्रिया कहें। कई बार जिंदगी हमें बहुत कुछ ऐसा देती है कि हम कठिन परिस्थितियों में भी मुस्कुरातें हैं।
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